कस्बे में बिना अनुमति के कुकुरमुतों की तरह उग आये व्यवसायिक कॉम्पलैक्सों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए नगरपरिषद ने न्यायालय में इस्तगासे पेश किये हैं। अब तक केवल नोटिस देकर अपने कार्य की इतिश्री मानने वाली नगरपरिषद विधायक द्वारा विधानसभा में अतारंकित प्रश्न के द्वारा पूछे गये प्रश्न कि नगर में बनने वाले कॉम्लैक्सों की स्वीकृति या बिना स्वीकृति के उनके खिलाफ की गई कार्यवाही के बारे में जानकारी मांगे जाने के बाद जागी नगर परिषद के अधिवक्ता एड. सुरेश शर्मा ने बताया कि शहर में बिना अनुमति के बन रहे 6 व्यवसायिक कॉम्पलैक्सों के विरूद्ध न्यायालय में इस्तगासे दायर किये गये हैं।
शर्मा ने बताया कि गणेश मन्दिर के पास, जैन नर्सियां के पास, घंटाघर के पास, रामपुरिया कॉटेज के पास, रामपुरिया कॉटेज एवं कोठारी रोड़ पर बिना स्वीकृति बनने वाले कॉम्पलैक्सों के खिलाफ न्यायालय सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खण्ड एवं अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट के न्यायालय में इस्तगासे पेश किये गये हैं। शर्मा ने बताया कि आगामी कुछ दिनों में अवैद्य कॉम्पलैक्स निर्माताओं के खिलाफ सात इस्तगासे ओर न्यायालय में दायर किये जायेंगे। पुरानी हवेलियों एवं नोहरों को खरीदकर उनमें बिना स्वीकृति के व्यवसायिक कॉम्पलैक्सों का निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है। परिषद के आयुक्त ए.के. गुप्ता ने बताया कि शहर में बनने वाले कॉम्पलैक्सों के मालिकों ने ना तो परिषद से किसी प्रकार की स्वीकृति ली है और ना ही इनके निर्माण में नियमों की पालना की गई है।
बिना स्वीकृति के बनने वाले कॉम्पलैक्सों के निर्माताओं ने परिषद की बिना स्वीकृति के निर्माण कार्य करवाने, निर्माण कार्य को रोके जाने के नोटिस दिये जाने के बाद भी निर्माण कार्य को नहीं रोकने, कॉम्पलैक्स के नक्शे नहीं पास करवाने, विधिवत रूप से शुल्क जमा नहीं करवाने, नगरपालिका अधिनियम की धारा 194 व 182 का उल्लंघन करने तथा भवन अधिनियम 2010 के प्रावधानों का उल्लघंन किया है। वहीं दूसरी ओर कॉम्पलैक्स निर्माण से पहले हवा, पानी व बिजली के लिए निर्धारित नाप की जमीन छोडऩी पड़ती है। जिसे किसी भी निर्माता ने नहीं छोड़ा है तथा ज्यादातर कॉम्पलैक्सों में पार्किंग की भी सुविधा नहीं है।