चूरू जिले की जनता व सभी नेताओं से रायशुमारी कर जनता के फैसले के अनुसार अगला कदम उठाया जायेगा। कस्बे के बगडिय़ा ट्रस्ट में उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए रतन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपनी हार का डर था, इसलिये जीतने वाले उम्मीद्वार की टिकट अंतिम समय में किसी अन्य को दे दी गई। उन्होने कहा कि हमारा मकसद किसी को हराना नहीं बल्कि जीतने का लक्ष्य लेकर चूरू जिले की जनता का जो प्यार स्नेह दुलार मिला है, उसे बरकरार रखते हुए चुनाव लड़ू या ना लड़ू, चाहे सांसद बनूं या ना बनूं जनता की सेवा निरन्तर करता रहूंगा।
उन्होने कहा कि पिछले दिनों होली की मुबारकबाद के विज्ञापनों में छपे मोबाईल नम्बरों पर 36 घंटो में 19200 मिस्ड कॉल आई। ये अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। उन्होने कहा कि टिकट की दौड़ में शामिल होने के बाद जिले के कुछ नेता नहीं चाहते थे कि नये आदमी को टिकट मिले और जिले में कांग्रेस जीत का परचम फहराये। इसलिये उन्होने बेबूनियाद आरोप लगाये, जिसके परिणाम स्वरूप अंतिम समय में टिकट से वंचित कर दिया गया। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ही कांग्रेस को हराती है। घटनाक्रम का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में जिले के नेताओं से विचार विमर्श कर व जनता के बीच जाकर उनके विचार व रूझान एवं उनके कहे अनुसार अगला कदम उठाकर निर्णय लिया जायेगा। इस अवसर पर मुराद खां ने आग जिसमें लगन की लगी होती है, कामयाबी उसी को मिलते है, शायरी सुनाते हुए कहा कि कांग्रेस व भाजपा की ओर ना देखकर हमें अपना लीडर खड़ा करना चाहिये। पवन रांकावत ने कहा कि टिकट में वोट नहीं है, वोट जनता के पास है।
हमें मौका मिला है, इसका सदूपयोग करना चाहिये। असलम मौलानी ने कहा कि अपने लिए चुनाव सभी लड़ते हैं, जबकि रतन शर्मा क्षेत्र के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। विद्याप्रकाश बागरेचा ने रतन शर्मा को जमीन से जुड़ा कार्यकर्ता बताया। बशीर फौजी ने कहा कि कांग्रेेस-भाजपा ने टिकट दिया है, वोट नहीं। वोट तो जनता के पास है। फौजी ने कहा कि रतन शर्मा के चुनाव नहीं लडऩे पर वे अपनी पुत्री एड. रजिया बानो को निर्दलीय चुनाव लड़ायेंगे। माणकचन्द सराफ ने कहा कि पार्टियों को टिकट काटने का परिणाम बता दो। बैठक को दूलीचन्द प्रजापत, चम्पालाल तंवर, श्रीचन्द तिवाड़ी पारीक, अन्नाराम डाबरिया, एड. सूर्यप्रकाश स्वामी, शैलेन्द्र लाटा, मो. सलाम खीची सहित सभी वक्ताओं ने एक स्वर से रतन शर्मा से निर्दलीय चुनाव लडऩे का अनुरोध किया।
इस अवसर पर मदनलाल इन्दौरिया, सांवरमल गाड़ोदिया, जगदीश भार्गव, युनूस खां हासमखानी, नूर मोहम्मद कायमखानी, इकबाल खां, नानूराम नाई, मुकेश रावतानी, रामनिवास इन्दौरिया, अनिल मिश्रा, मुकुल मिश्रा, महावीर बगडिय़ा, जितेन्द्र मिरणका, मो. रफीक गौरी, फारूक खीची, सुशील तोदी, शुभम् तोदी, दिनेश शर्मा, भीकमचन्द बोचीवाल, सैजू खां, डा. जयन्त शर्मा, अयूब नसवाण, लालचन्द बगड़ा, शुभकरण काछवाल, नरेन्द्र भारती, एड. भीमशंकर शर्मा, लक्ष्मीकान्त मिश्रा, बाबू खां, इलियास खां हासमखानी, विजयशंकर मिश्रा, बबलू मिश्रा, महावीर जांगीड़ सहित अनेक लोग उपस्थित थे। बैठक का संचालन प्रेम जोशी ने किया।