कस्बे के गाड़ोदिया गेस्ट हाऊस के पास स्थित नोहरे में व्यासपीठ पर विराजमान बाल संत भागवताचार्य भरत शरण जी महाराज ने कथा के दूसरे दिन शनिवार को राजा परीक्षित को शाप लगने के पश्चात सुकदेव मुनि के पास जाने और भागवत श्रवण कराने के लिए आग्रह करने तथा सुकदेव मुनि द्वारा आग्रह को स्वीकार कर कथा सुनाने के साथ भगवान कपिल मुनि, वराह अवतार, धु्रव चरित्र के प्रसंगों का अमृतपान करवाते हुए कहा कि कलियुग में भवसागर पार करने के लिए भगवान का नाम मात्र ही काफी है।
कलयुग में भगवान का कीर्तन करने मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। उन्होने कहा कि भगवान भावना के भुखे हैं। उन्हे सच्चे मन से व शुद्ध भाव से याद करें तो भगवान अपने भक्तों के लिए हर समय तत्पर मिलते हैं। इससे पूर्व शुक्रवार सुबह संकट मोचन हनुमान मन्दिर से शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा कृष्ण राधा, गणेश जी सहित अनेक मनमोहक झांकियां सजाई गई। शोभायात्रा में अनेक महिलायें सिर पर कलश धारण कर हरिकीर्तन करते हुए चल रही थी।
किशनलाल व सन्तोष कुमार बगडिय़ा ने सपत्निक भागवत जी को सिर पर धारण कर शोभायात्रा के दौरान आगे चल रहे थे। नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरती हुई यात्रा कथा स्थल पर पंहूची। शोभायात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। शोभायात्रा एवं कथा को सफल बनाने के लिए विश्वनाथ बगडिय़ा, रविप्रकाश बगडिय़ा, ओमप्रकाश बगडिय़ा, सुभाषचन्द्र बगडिय़ा, महावीर बगडिय़ा, माणकचन्द सराफ, मधुसूदन अग्रवाल, शंकरलाल अग्रवाल, सूर्यप्रकाश मावतवाल सहित अनेक धर्मप्रेमी जुटे हुए हैं।