कस्बे के आम आदमी ने मुख्यमंत्री को नायब तहसीलदार के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर दिल्ली सरकार की तर्ज पर 300 युनिट बिजली के उपभोग पर बिजली की दरों में 50 प्रतिशत कमी करने की मांग की है। सुरेन्द्र भार्गव के नेतृत्व में सौंपे गये ज्ञापन में लिखा है कि राजस्थान में बिजली बोर्ड को भंग कर विद्युत उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण का निजीकरण किया जाना प्रदेश की जनता के हितों के विपरीत सरकारी उपक्रमों को खुले बाजार के हवाले करने की श्रंखला की कड़ी मात्र है।
पत्र में लिखा है कि डेढ़ दशक में निजी कम्पनियों की विफलता का उदाहरण है कि बिजली उत्पादन के कारण प्रदेश को हर साल महंगी दरों पर बाहर से बिजली खरीदनी पड़ती है, जिसका भार घरेलू उपभोक्ता को भुगतना पड़ता है। पत्र में विद्युत कम्पनियों के बिजली की छीजत रोकने के दावों को कागजी बताते हुए बिजली चोरी को रोकने की मांग भी की है। ज्ञापन में लिखा है कि विगत पांच वर्षों में पचास फीसदी बिजली दरों में बढ़ोतरी के बाद भी बिजली कम्पनियों का घाटा 15 हजार करोड़ से बढ़कर 71 हजार करोड़ रूपये हो गया। जो विचारणीय है।
ज्ञापन सौंपने गये प्रतिनिधी मण्डल में लियाकत खां, जगदीश प्रसाद, कमल पारीक, गोविन्द गहलोत, रूपचन्द रैगर, सम्पत कुमार खत्री, अमराराम चौधरी, दिनेश स्वामी, महेश खाण्डल, संदीप लाटा, शांतिलाल जैन, छगनलाल, गोपाल सोनी, उमेश, अनिल शर्मा, मधुसूदन अग्रवाल, तिलोक मेघवाल एड., भजनलाल जांगीड़, रूपचन्द रैगर, प्रदीप कठातला एड. सहित अनेक लोग शामिल थे।