स्वतंत्रता के स्थान पर स्वच्छंदता को अपना रही है नारी

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सोनादेवी सेठिया कन्या महाविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सौजन्य से हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी कथा साहित्य में नारी अस्मिता का विकासात्मक विश्लेषण विषय पर राष्ट्रीय सेमीनार के दूसरे दिन शनिवार के प्रथम सत्र को सम्बोधित करते हुए प्रो. ब्रह्मानन्द ने नारी अस्मिता के संदर्भ में भारतीय व पाश्चात्य सभ्यताओं की तुलना करते हुए भारतीय मूल्यों और नैतिकता मयी वातावरण को नारियों के लिए आदर्श बताया। भारतीय समाज में नारी को पूज्या तथा पाश्चात्य समाज में भोग्या चित्रित किया गया है। शिमला से आये प्रो. जगनपाल ने कहा कि मानवीय व धार्मिक शक्तियों के असंतुलन से नारी अस्मिता को खतरा उत्पन्न हो जाता है। मानवीय और धार्मिक शक्तियों में सन्तुलन बने रहने से नारी अस्मिता को कोई खतरा नहीं होगा। अपनी सुरक्षा के लिए नारी को अपने अन्दर झांकना होगा। कोटा विश्वविद्यालय के प्रो. रघुवीरसिंह ने जयशंकर प्रसाद के माध्यम से नारी अस्मिता पर अपने विचार रखे।

राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रो. हरसहाय शर्मा ने कहा कि नारी स्वतंत्रता के स्थान पर स्वच्छन्दता को अपना रही है। नारी अस्मिता की सुरक्षा के लिए इसे रोकना होगा। प्रो. माहेश्वरी ने सम्पूर्ण धरा अगर सुजान हो जाये तो नारी अस्मिता को कोई खतरा नहीं। नारी को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना होगा। डा. प्रतिभा ने कहा कि पुरूषों को नारी के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा। दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के समापन सत्र की अध्यक्षता जयनारायण विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रो. डा. नन्दलाल कल्ला ने की, जबकि मुख्य अतिथि राजस्थान विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. एन.के. पाण्डेय थे। सत्र के विशिष्ट अतिथि महारानी सुदर्शन महाविद्यालय बीकानेर की हिन्दी विभाग की व्याख्याता शालिनी मूलचन्दानी, प्रख्यात कवियत्री वीणा चौहान थे। मंचस्थ अतिथियों में संरक्षिका सन्तोष व्यास, प्राचार्या डा. मधु मंजरी दूबे, सचिव एन.के. जैन, आयोजन सचिव डा. जयश्री सेठिया थे। डा. शिवदर्शन दूबे, शोभा शर्मा, आकांक्षा दायमा, प्रेम नेहरा, आशा भार्गव, नुपुर जैन ने माल्यार्पण कर व शॉल ओढ़ाकर तथा श्रीफल भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया।

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