
दुलियां बास स्थित सिद्ध श्री संकट मोचन हनुमान मन्दिर में श्री संकट मोचन बालाजी राम कथा समिति के तत्वाधान में आयोजित राम कथा के सातवें दिन व्यास पीठ पर विराजमान कथा वाचक मुरलीधर महाराज ने राम के राज्याभिषेक की तैयारियों और वन गमन के प्रसंग का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि पुत्र द्वारा माता-पिता की सेवा तथा पत्नि के लिए पति धर्म का पालन करने की शिक्षा राम कथा देती है। उन्होने कहा कि पिता की आज्ञा को सर्वोपरि मानते हुए पुत्र राम राजपाट छोड़कर वनवासी के वेश धारण कर वन में जाने के लिए तत्पर हो जाता है। महाराज ने कहा कि किसी से लिए उधार लिये हुए धन का ऋण देर-सबेर चुक जाता है, लेकिन मातृ एवं पितृ ऋण व्यक्ति अनेक जन्म लेकर भी नहीं चुका सकता।
करमा बाई का खीचड़ा, शबरी के बेर, विदूर पत्नि से केले के छिलके खाने के प्रसंगों का सुन्दर वर्णन करते हुए कथा वाचक ने भगवान को भावनाओं का भुखा बताया। राम कथा के विभिन्न दृष्टांतो का वर्णन करते हुए उन्होने कहा कि दूसरों के साथ आप जैसा व्यवहार करते हो वैसा ही व्यवहार दूसरे आपके साथ करेंगे। कथा शुरू होने से पूर्व यजमान देवीदत शुभकरण काछवाल, जगदीश प्रसाद अशोक कुमार जोशी, ताराचन्द भरतिया, रामवतार ढ़ाणीवाल, कन्हैयालाल नन्दकिशोर घासोलिया व रामगोपाल सन्तोष कुमार बेडिय़ा परिवार द्वारा राम कथा की पूजा-अर्चना की गई। कथा मर्मज्ञ मुरलीधर महाराज का समिति अध्यक्ष घनश्याम तुनवाल, हरिप्रसाद चोटिया, शंकरलाल सामरिया, पवन चितलांगियां, रामनारायण प्रजापत, पवन तोदी, गोपाल बगडिय़ा, हरिप्रसाद जोशी, डा. राजेन्द्र शर्मा, पूर्णमल घोड़ेला, देवीदत जांगीड़, दीपचन्द तुनवाल, रूकमानन्द रिणवां, गोपाल बगडिय़ा, सीताराम सामरिया, महावीरप्रसाद काछवाल, मुनीम जी नथमल घासोलिया, नोरतनमल मोयल, नन्दलाल घासोलिया, नथमल जोशी, डूंगरमल धर्ड़, अखिलेश पारीक, मोहनलाल घासोलिया, नारायण प्रसाद सामरिया, भगवती प्रसाद सुरोलिया, सीताराम बोचीवाल, प्रहलादराय माटोलिया, सीताराम मेघवाल, अरविन्द बढ़ाढऱा, अर्जुनराम मेघवाल आदि ने माला पहनाकर स्वागत किया। संचालन नरेन्द्र भाटी ने किया।
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