राजस्थानी भाषा की सौरभ को संसार में बिखेरने वाले सुजानगढ़ के लाडले पद्मश्री स्व. कन्हैयालाल सेठिया का 95 वां जन्म दिवस कस्बे के दस्साणी भवन में साध्वी निर्वाण श्री जी के सानिध्य में सोनादेवी सेठिया कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या सन्तोष व्यास की अध्यक्षता में मनाया गया। मरूदेश संस्थान द्वारा आयोजित समारोह के विशिष्ट अतिथि जिप सदस्य पूसाराम गोदारा व नगरपरिषद के सभापति डा. विजयराज शर्मा थे। तेरापंथ महिला मण्डी द्वारा मंगलाचरण करने के पश्चात गिरधर शर्मा ने सेठिया जी की अमर कृति धरती धोरां री का सस्वर पाठ कर विधिवत शुरूआत की। मरूदेश संस्थान अध्यक्ष युवा साहित्यकार घनश्यामनाथ कच्छावा ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुए सेठिया जी के साहित्य संसार के संदर्भ में जानकारी प्रदान करते हुए आयोजकीय पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। जिप सदस्य पूसाराम गोदारा ने सेठिया जी को बहुमुखी प्रतिभा का धनी और सच्चे अर्थों में महान सपूत बताते हुए कहा कि उन्होने जीवन मातृभाषा व मातृ भुमि के लिए संघर्ष किया। सभापति डा. विजयराज शर्मा ने कहा कि सेठिया जी ने सुजानगढ़ को विश्व पटल पर पहचान दिलवाई है।
शिक्षाविद् सन्तोष व्यास ने सेठिया जी को युगदृष्टा व महान चिन्तक बताते हुए उनके सामाजिक चिन्तन एवं साहित्य पर व्याख्या की। साध्वी निर्माण श्री ने कहा कि जो दूसरों के लिए जीते हैं, उन्ही की स्मृति में ऐसे आयोजन होते हैं। साध्वी जी ने साहित्य को पढऩे के साथ ही जीवन में उतारने का आह्वान किया। समारोह में वक्ताओं ने राजस्थानी भाषा को शीघ्र संवैद्यानिक मान्यता देने की पुरजोर मांग करते हुए कहा कि आठवीं अनुसूची में जोडऩा सेठिया जी को सच्ची श्रद्धांजली होगी। समारोह को साध्वी डा. योगक्षेम प्रभा, साहित्यकार एड. सुल्तान खां चौधरी राही, हाजी शम्सूद्दीन स्नेही, बुद्धिप्रकाश सोनी, अजय चौरडिय़ा, रतन भारतीय, विजयसिंह बोरड़, डा. सूर्य प्रकाश मावतवाल, पं. मोहन चैतन्य शास्त्री, मूलचन्द तिवाड़ी, धर्मचन्द बोथरा आदि ने सम्बोधित किया। कार्यक्रम में रजनीश भोजक, पूनमचन्द सारस्वत, हरिराम मेघवाल, शंकरलाल सामरिया, हरिप्रसाद चोटिया, राजेश चोटिया, श्रीराम भामा, अमित नाहटा, परमेश्वर रूलाणियां, जयचन्दलाल पीपलवा, पवन नाहटा, तनसुखमल लोढ़ा, विनोद भुतोडिय़ा, भंवरलाल नाहटा ने अतिथियों को साहित्य भेंटकर सम्मानित किया। सुमनेश शर्मा ने आभार व्यक्त किया।