
स्थानीय मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष व युवा साहित्यकार एड. घनश्यामनाथ कच्छावा की नव प्रकाशित कृति मां-बाप का गत दिवस लाडनूं में राष्ट्रीय संत आचार्य महाश्रमण ने विमोचन किया। जैन विश्व भारती की सुधर्मा सभा में आयोजित कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि संक्षेप भावों को अभिव्यक्त करने की सुन्दर विद्या काव्य है। भाव गाम्र्भीय को काव्य की आत्मा तथा शब्द सौष्ठव को उसका शरीर बताते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि वह कवि प्रशस्य होता है, जिसके काव्य में ये दोनो चीजें विपुलतया समवतरित होती है। इस अवसर पर युवा साहित्यकार घनश्याम कच्छावा ने अपनी कृति मां बाप की ्रति आचार्य श्री को भेंट की। इस पुस्तक में दो सौ इक्यावन हाइकू है। सनद रहे कि श्री कच्छावा की पूर्व में भी ठूंठ, मेरी इक्यावन लघु कथाऐं तथा जीवण रा चितराम पुस्तकें प्रकाशित हो चूकी है।