जन-जन की आस्था के केन्द्र कस्बे के दुलियां बास स्थित जीवण माता के मन्दिर को बुधवार दोपहर में नगरपरिषद द्वारा हटाने से मौहल्लेवासियो में रोष व्याप्त है। मन्दिर के पुजारी सोहन मेघवाल ने बताया कि जीवण माता का मन्दिर करीब पचास वर्ष पुराना था, जिसमें पहले उसके पिता खेताराम मेघवाल आरती-पूजा आदि कार्य करते थे, उनके बाद से वह मन्दिर की सेवा कर रहा है।
मन्दिर के पास ही एक साण्ड को भी दफनाया हुआ है। मौहल्ले के खड़कदास स्वामी, मो. अरशद सैयद, भंवरलाल मेघवाल, मो. लियाकत खत्री, मो. फारूक, रामचन्द्र स्वामी, नानू प्रजापत, डूंगरमल मेघवाल, बुलाराम मेघवाल, मौसीन सैयद, तौलाराम, सुवटीदेवी, मोहिनीदेवी, कमला देवी, भंवरलाल स्वामी आदि का आरोप है कि मन्दिर के पीछे की जमीन पुरूषोतम खेतान की है, जिसके दबाव में आकर नगरपालिका द्वारा मन्दिर को तोडऩे की कार्यवाही की गई है। खड़कदास स्वामी ने बताया कि सभी मौहल्लेवासियों से बात कर सभी की सहमति से आगे के आन्दोलन की रणनीति तैयार की जायेगी। एसआई गंगाराम माली ने बताया कि मन्दिर को लेकर शिकायत हुई थी, जिस पर ईओ साहब ने मन्दिर तोडऩे के आदेश दिये थे।
उनके आदेशों की पालना में मन्दिर तोडऩे की कार्यवाही की गई। अधिशाषी अधिकारी डा. भगवानसिंह राठौड़ ने बताया कि मौहल्ले के करीब 15 जनों ने उपखण्ड अधिकारी महोद्य को ज्ञापन सौंपकर मन्दिर के बारे में शिकायत की थी। राठौड़ ने बताया कि शिकायतकर्ताओं ने लिखा था कि मन्दिर अभी करीब 15 दिन पहले ही बना है। जिस पर एसडीएम साहब ने जांच के आदेश दिये थे। जांच में मन्दिर का निर्माण अभी का हुआ पाया गया तथा मन्दिर रास्ते में था और मन्दिर में कोई मुर्ति नहीं थी, दो-तीन फोटो थी। जांच में मन्दिर का निर्माण करीब 15 दिन पहले पाये जाने के बाद मन्दिर तोड़ा गया है। वहीं मौहल्लेवासियों का कहना है कि मन्दिर के पीछे के जमीन के मालिक पुरूषोतम खेतान ने मौहल्ले से बाहर के लोगों के फर्जी हस्ताक्षर करवाकर झूठी शिकायत की है तथा नगरपरिषद ने बिना कोई जांच किये ही आनन-फानन में मन्दिर को तोड़ दिया।