धर्म जोडऩे, अध्यातम बुराईयों को त्यागने तथा राजनीति तोडऩे का काम करती है। जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद के नाम पर तोडऩे का काम राजनीतिज्ञ करते आ रहे हैं। उक्त उद्गार सुमेरूपीठ काशी के जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने काशीपुरीश्वर महादेव मन्दिर के स्थापना दिवस एवम् गुरूदेव स्वामी रामपुरी महाराज की पुण्य तिथी पर आयोजित धर्म सभा में उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए कहे। जगद्गुरू ने कहा कि महापुरूषों को उनकी पुण्यतिथियों पर स्मरण करने से विशेष तरह की ऊर्जा शक्ति का संचार होता है।
उन्होने सच को सबसे बड़ा तप बताते हुए कहा कि जिसके ह्रदय में सत्य की सच्चाई है, परमात्मा उसी के वशीभुत होते हैं। स्वामी नरेन्द्रानन्द ने कहा कि कलियुग में लग रहा है कि धर्म डूब रहा है, लेकिन धर्म कभी डूब नहीं सकता है। धर्म के बल पर ही भारत विश्व गुरू था, है और रहेगा। सरस्वती ने कहा कि महिलायें अपने सतीत्व पर कायम रहे और पुरूष एक पत्नी व्रत धर्म का पालन करे तो एडस से मुक्ति मिल जायेगी। सती प्रथा को धर्म बताते हुए शंकराचार्य ने कहा कि भारत राष्ट्र को सतियों की आज के समय में आवश्यकता है। बलात्कार के आरोपी को मृत्युदण्ड दिये जाने की वकालत करते हुए सुमेरूपीठाधीश्वर ने कहा कि चरित्र निर्माण होने से ही ऊपर उठा जा सकता है। ब्रह्मचर्य को चरित्र की नींव बताते हुए स्वामी जी ने चरित्र निर्माण भारत की संस्कृति है, शिक्षा के साथ जोड़कर विद्यालयों में चरित्र निर्माण किया जाना चाहिये। नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि जिस प्रकार तिल में तेल, दूध में घी और गन्ने में मिठास दिखाई नहीं देती है, उसी प्रकार ईश्वर सर्वत्र है। बिना साधन के साध्य सुलभ नहीं हो सकता।
ईश्वर को प्राप्त करने के लिए हमें साधन करना पड़ेगा, इसके लिए प्रति दिन कुछ समय ईश्वर के लिए निकालें। दुष्कर्मों से बचने की सीख देते हुए शंकराचार्य ने दहेज हत्या व भु्रण हत्या नहीं करने का आह्वान करते हुए अपने से बड़ों को प्रणाम कर उनका आर्शीवाद लेने की शिक्षा दी। पाकिस्तान द्वारा दो भारतीय सैनिकों के सिर काटने के प्रकरण पर शंकराचार्य ने कहा कि भारत सरकार को पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देना चाहिये। उन्होने कहा कि हम शांति के पक्षधर है, पर इसका यह अर्थ नहीं कि हमारे जवानों के सिर काटकर ले जाये और हम देखते रहें। शंकराचार्य ने पाकिस्तान के दो हजार सैनिकों के सिर काटकर लाने के लिए भारत सरकार से सेना को आदेश देने की मांग की। उन्होने कहा कि हिन्दी-चीनी भाई के नारे की आड़ में चीन भारत के 27 टुकड़े देखना चाहता है।
उन्होने चीन को भारत पर युद्ध नहीं थोपने की सलाह दी। धर्म सभा में चरला के महन्त उज्जैनगिरी जी महाराज, लाडनूं के महन्त बजरंग पुरी जी महाराज, कानपुरी सेवाश्रम के कानपुरी जी महाराज मंचासीन थे। महन्त कानपुरी जी महाराज ने धर्म सभा में उपस्थित सभी संतो का माला पहनाकर व शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। श्रीचन्द पारीक ने आभार व्यक्त किया। संचालन घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया। धर्मसभा में पूर्व विधायक रामेश्वर भाटी, पूर्व प्रधान पूसाराम गोदारा, नगरपालिका अध्यक्ष डा. विजयराज शर्मा, पूर्व पार्षद टीकमचन्द मण्डा, करणीदान मंत्री, नारायण बेदी, समाजसेवी विनोद गोठडिय़ा, शंकरलाल सामरिया, शंकरलाल पारीक आबसर, जुगलकिशोर सैन, कैलाश सराफ, मूलचन्द तिवाड़ी, मूलचन्द सांखला, पूर्व पार्षद श्यामलाल गोयल, एड. महावीर प्रसाद दाधीच, वैद्य भंवरलाल शर्मा, गणेश मण्डावरिया, रामप्रताप बीडासरा, मधुसूदन अग्रवाल, सूर्यप्रकाश मावतवाल सहित अनेक धर्मानुरागी उपस्थित थे।