अधूरे कार्य की पूर्णता की घोषणा करने वाला बोर्ड सार्वजनिक विभाग एवं ठेकेदार द्वारा लगाया है, जो विभाग लेटलतीफ कार्य के समय पर पूर्ण होने का दावा करता है। जबकि मौके पर हकीकत बोर्ड पर लिखी सच्चाई से कोसों दूर है। नाबार्ड द्वारा वित पोषित दुलियां से बोबासर के रास्ते पर मिसिंग लिंक सड़क निर्माण कार्य के शुरू होने की दिनांक 31 अगस्त 2012 तथा कार्य समापन की दिनांक 3 मार्च 2013 बोर्ड पर अंकित है। जबकि सड़क के डामरीकरण सहित अनेक काम अभी बाकी है।
मौहल्लेवासियों का कहना है कि सड़क का अभी एक-डेढ़ महीने का काम बाकी है। बोर्ड पर अंकित विवरण के अनुसार इस सड़क का ठेका मूलरूप से लाडनूं के ठेकेदार नूर मोहम्मद जफ्फर हुसैन के नाम है, जो कि बोर्ड पर स्पष्ट लिखा हुआ है, जबकि सड़क का निर्माण सुजानगढ़ के होलीधोरा निवासी अली खां द्वारा किया जा रहा है। विभाग द्वारा जिस ठेकेदार को सड़क निर्माण का काम दिया गया था, उसने एक दिन भी आकर सड़क के निर्माण कार्य को नहीं देखा। ठेके में ठेका होने के कारण सड़क की गुणवता दोषपूर्ण होने एवं सड़क में घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग होने तथा विभाग द्वारा तय मापदण्डों के अनुसार नहीं होने का आरोप मौहल्लेवासी लगा रहे हैं।
सड़क निर्माण के दौरान सड़क के पास बने गड्डों को भी मिट्टी डालकर नहीं भरा गया, जिससे बरसात के दिनों में सड़क के बह कर खेतों में जाने की पूरी सम्भावना है। सड़क के निर्माण कार्य का देखकर ऐसा लग रहा है मानो थुक से कान चिपकाने की कवायद की जा रही हो। 37.50 लाख की अनुमानित लागत से पांच वर्ष के गारन्टी समय के लिए निर्मित इस सड़क की गुणवता को लेकर मौहल्लेवासियों द्वारा इसके अधूरे, लेकिन घोषित पूर्ण निर्माण से पूर्व ही लगाये जा रहे हैं।
सड़क निर्माण की पूर्णता की घोषणा करने वाले बोर्ड के दूसरी तरफ 5100 घनमीटर मिट्टी की भराई दर्शाई गई है, लेकिन सड़क किनारे पड़े खड्डे इसकी हकीकत की सच्चाई को बयां करते हुए विभाग एवं ठेकेदार द्वारा की गई घोषणा को आईना दिखा रहे हैं। बोर्ड पर 127.50 मीटर सीसी सड़क निर्माण के लिए लिखा गया है, लेकिन सीसी सड़क कहीं आस-पास भी देखने को नहीं है। जब इस बारे में कार्यकारी एजेन्सी सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियन्ता शंकरलाल इन्दलिया से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो अपना फोन ही नहीं उठाया।