स्थानीय नया बास स्थित शांति कुंज में श्रीमद्भागवत कथा का शनिवार को शुभारम्भ हुआ। नया बास स्थित सीताराम जी के मन्दिर से गाजे-बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा में शामिल महिलायें हरिकीर्तन करते हुए चल रही थी। कलश यात्रा में मुख्य यजमान आनन्दीलाल गोठडिय़ा भागवत जी केा अपने सिर पर धारण कर सपत्निक सबसे आगे चल रहे थे। शिक्षा विभाग में सेवायें देने के बाद सेवानिवृत हुए आनन्दीलाल गोठडिय़ा के निवास स्थान पर आयोजित कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा का अमृतपान करवाते हुए पूज्य संत हरिशरण जी महाराज ने कहा कि सांसारिक मोह का त्याग कर भगवान का ध्यान करने, सत्संग करने से ही भगवान की प्राप्ति होगी। उन्होने कहा कि जिस प्रकार कनेक्शन जोड़े बिना पंखे, लाईट आदि नहीं चलती है, उसी प्रकार भगवान से सम्बन्ध जोड़े बिना भव सागर पार नहीं हो सकता। भागवत का महात्म्य बताते हुए महाराज ने कहा कि भागवत सब गं्रथो का सार है।
भागवत को पढऩे, श्रवण करने मात्र से ही भगवत की प्राप्ति होती है। महाराज ने कहा कि जिस प्रकार मृत्यु को कोई समय एवं स्थान निश्चित नहीं है उसी प्रकार हम भगवान का भजन, ध्यान, सत्संग आप अपने कार्य करते हुए भी किसी भी स्थान एवं समय पर कर सकते हैं। कथा के दौरान डा. सूर्यप्रकाश मावतवाल, दाऊलाल त्रिवेदी, भगवतीप्रसाद नवहाल, कमल पारीक, फूलचन्द सामरिया, श्यामसुन्दर नाई, भैंरूदान नाई, बाबूलाल माली सहित अनेक लोग उपस्थित थे। कथा को सफल बनाने में पार्षद एड. मनीष गोठडिय़ा, जगदीशप्रसाद गोठडिय़ा, सन्तोष कुमार गोठडिय़ा, डूंगरमल गोठडिय़ा, प्रेमप्रकाश गोठडिय़ा, मुकेश गोठडिय़ा, महेश गोठडिय़ा आदि जुटे हुए हैं।