समन्वय चार्तुमास के दौरान सिंघी जैन मन्दिर परिसर में दिव्यानन्द विजय महाराज निराले बाबा के सानिध्य में मैत्री दिवस समारोह का आयोजन किया गया। मंगलाचरण कर निराले बाबा ने सम्मेलन का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए निराले बाबा ने कहा कि मैत्री दिवस मनाना तभी सफल व सार्थक सिद्ध होगा, जब हम प्राणी मात्र से प्यार करेंगे। इंसान को सर्वश्रेष्ठ प्राणी बताते हुए निराले बाबा ने कहा कि जब तक इंसान के मन में दूसरे इंसान के प्रति प्रेम, प्यार व स्नेह की जागृति नहीं होगी तब तक हम परमात्मा की भक्ति के अन्दर परिपक्वता नहीं पा सकते। उन्होने कहा कि पिंजरा खुलने से ही कुछ नहीं होगा, पिंजरा खुलने के साथ-साथ पंखों का खुलना भी आवश्यक है, उसी प्रकार महापुरूषों के उपदेश सुनने एवं ग्रंथों को अनेकों बार पढऩे से तब तक कुछ नहीं होगा जब तक मन की गांठे नही खुले।
मन की गांठ खुलने पर ही मैत्री दिवस मनाने की सार्थकता एवं सफलता है। उन्होने कहा कि मैत्री के प्रथम शब्द मैं के अर्थ अंहकार को समाप्त करने पर ही मैत्री दिवस की सार्थकता एवं सफलता है। इससे पूर्व हाजी शम्सूद्दीन स्नेही, ब्रह्मकुमारी सुप्रभा दीदी, लाडनूं शहर काजी सैयद अयूब अशरफी, शासन श्री साध्वी राजीमती महाराज, सन्नी के. जोंस ने अपने विचार व्यक्त किये। इससे पूर्व अखिल भारतीय मूर्ति पूजक संघ के सचिव घेवरचन्द मुसरफ बीकानेर एवं अन्य अतिथियों का श्री देवसागर सिंघी जैन मन्दिर के ट्रस्टीगणों द्वारा अभिनन्दन किया गया। विजयराज सिंघी ने आभार व्यक्त किया। संचालन बीकानेर के ललित गोलछा ने किया।