रमजान शरीफ की सताईसवीं रात शबेकद्र पर कस्बें की 16 मस्जिदो में रात भर चहल पहल रही। नमाजे तराबीह के बाद उलमा ए किराम ने लैलतुल की फजीलत बयान करते हुए कहा कि यह रात मुबारक और बरकत वाली रात है। जिससे पवित्र कुरआन का नुजूल शुरू हुआ। कुरआन थोड़ा थोड़ा करके 23 साल में हमारे नबी ए करीम पर उतारा गया। इस रात में दिल की गहराई व नेकनीयती से की गई दुआएं कबूल होती है। इस एक रात की इबादत का सवाब एक हजार महीनो की इबादत के बराबर होता है। अकीदतमंद मुसलमानो ने कसरत से तिलावते कुरआन , नफली नमाज, सलातुल तस्बीह के जरिए इबादत करके यह रात गुजारी। कस्बें की मस्जिदो में खत्मे कुरआन के बाद इज्तेमाई दुआओं का आयोजन हुआ तथा जिन हाफिजो ने रमजान में कुरआन शरीफ सुनाया उनको नजराना देकर इस्तकबाल किया गया। सुबह सादिक लोग कब्रिस्तान गये तथा अपने मरहूब रिश्तेदारो की मगफिरत के लिए फातेहा रव्वानी की।