रमजान शरीफ का आखिरी अशरा जहन्नुम से निजात का आगान 20वें रोजे की समाप्ति के साथ हो गया। इबादत के लिहाज से महत्वपूर्ण अशरे में मस्जिदो में एतकाफ की इबादत शुरू हो गई। इस इबादत को उलमाओं ने सुन्नते मोअकिदा किफाया बताया है जिससे इकसवीं रात से ईद का चांद नजर आने तक रोजेदार दिन रात मस्जिद में ही रहता है तथा अपने रब की रजा के लिए इबादत में तल्लीन रहता है। इसी अशरे में से एक रात शबेकद्र है जिसमें की गई इबादत का सबाब एक हजार महिनों की इबादत के बराबर है। ज्यादातर जकात व खैरात का वितरण तथा इफ्तार दावतों का आयोजन इन्ही इस दिनो में मुसलमान भाई करते है। मस्जिदो में पंचगाना नमाज व तराबीह के साथ-साथ तिलावते कुरआन, दुरूद शरीफ का विरद व तस्बीह रव्वानी तथा नफली नमाजो की अदायगी में रोजेदार मशरूफ नजर आते है।