अंजुमन गुलशने गरीब नमाज कमेटी द्वारा शुक्रवार रात्रि को रजा ए मुस्तफा कांफ्रेन्स जलसा का आयोजन किया गया। पीर सैयद जहूर अली की अध्यक्षता आयोजित कार्यक्रम का आगाज नाजिये जलसा हाफिजो कारी अब्दुस्सलाम मिस्बाही ने तिलावते कुरआन से किया। मोहम्मद सुल्तान , मो. सद्दाम व इरशाद ने इश्के नबी से सराबोर नातो का गुलदस्ता पेश किया। बरेली के सैयद अजीम नूरी ने इश्के मुस्तफा व औलिया ए किरान की शान में नाते मुबारक व मनकबत का नजराना पेश कर महफिल को परवान चढाया। तडफ़कर आरजू दम तोड़ती है, मेरे सीने में ,बुला लीजे, बुला लीजे मेरे आका मदीने में ..सहित अनेक रचनाओं न खूब वाह वाही लूटी।
सैकड़ो उलमाओं व अकीदत मद मुसलमानो की मौजूदगी में पीरे तरीकत जहूर अली ने हाजी शम्सुद्दीन स्नेही द्वारा लिखित सुजानगढ का मुस्लिम समाज नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक में मुस्लिम समाज की विभिन्न जातियों का ऐतिहासिक , आर्थिक, शैक्षिक, राजनैतिक, सामाजिक विवरण के साथ धार्मिक संस्थाओं एवं समाज से संबंधित विभिन्न वर्गो के लोगो के दुरभाष नम्बर प्रकाशित किये गये है। अल्लामा समीउल्लाह वस्तवी ने कुरानो हदीस की रोशनी में नबी की मुहब्बत व इस्मे गैब विषय पर प्रकाश डाला। प्रमुख वक्ता मौलाना इन्तेजार अहमद गजाली ने इस्लाम की खूबियां बयान करते हुए कहा कि इस्लाम अमन व शांति की तालीम देता है।
आतंकवाद को हमारे यहां कोई जगह नही। इस्लाम दिलो को तोड़ता नही जोड़ता है। कुरान व हदीस की तालीमात पर अमल करो। कुरान की अजमत बयान करते हुए उन्होने कहा कि कुरान पढना, देखना, सुनना यहां तक कि छूना भी इबादत है रमजान के महिने में ज्यादा से ज्यादा तिलावते कुरान करो तथा नमाज पढो। रोजा रखो और जकात अदा कर खुदा की इबादत करो। संचालन अब्दुल सलाम मिस्बाही ने किया। इस अवसर पर शहर काजी मो. आरीफ, कारी शमीम अख्तर, कारी मंसूर आलम, उबैदुर्रहमान, जावेद दय्या, हाफिज जुबैर आलम, गुलाम नबी, शराफत हुसैन, बिलाल काजी, मोहम्मद आबिद, इमरान खींची, अकरम रजा, इलियास काजी सहित अनेक लोग उपस्थित थे।