स्थानीय फतेहपुरिया गेस्ट हाऊस में स्वामी समाज प्रतिभा सम्मान समारोह रेवासा धाम पीठाधीश्वर राघवाचार्य जी के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। प्रतिभा सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि उद्योगपति छोटूदास स्वामी, विशिष्ट अतिथि लक्ष्मीनारायण स्वामी, मदनदास स्वामी, महन्त तनदास स्वामी थे। समारोह के मुख्य अतिथि राघवाचार्य जी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आगे बढने के लिए समय के महत्व को समझना होगा। स्वामी समाज के पूर्वज तपस्वी थे ओर उनके सामने बड़े-बड़े बादशाह, राजा बड़े आदर से सम्मान करते थे ओर मंदिरो के नीचे हजारो गज जमीन दे देते थे। पुजारी परिवार की जमीन हथयाने के लिए सरकार ने एक बार कुचक्कर चलाया था जिसका डटकर विरोध किया जिसके परिणाम स्वरूप काला कानून बनने से रूक गया। प्रत्येक व्यक्ति पीड़ा को अपनी पीड़ा समझ कर उसका विरोध करने का दायित्व निभाये।
प्रजातंत्र में शक्ति का बड़ा महत्व है, संगठन में बहुत बड़ी ताकत होती है संगठित होकर समाज को एक जुटता के साथ विकास की राह पर ले जाये। उन्होंने ठाकुरजी के मंदिरों के तहत डोलों की जमीनों को बचाने के प्रयास के लिए आह्वान करते हुए कहा कि कानून के मुताबिक मंदिर की जमीनें ठाकुरजी के नाम है जो कि नाबालिग हैं व उनके संरक्षण की जिम्मेदारी मंदिरों के वैष्णव पुजारी समाज की है। वैष्णव पुजारी महासभा के प्रदेशाध्यक्ष मदनदास चुंडासरिया ने कहा कि समाज को संगठित होकर शिक्षा की ओर प्रेरित कर अत्याधिक शिक्षा पर जोर देने का आह्वान किया। संगठन के अभाव में समाज आर्थिक , राजनैतिक व वैश्विक रूप से पिछड़ता जा सकता है। जिप सदस्य लक्ष्मीनारायण स्वामी ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज की जागृति के सूचक हैं जो कि समय समय पर आयोजित करने चाहिये। उन्होनें कहा कि संगठित होने के लिए शिक्षा की महती आवश्यकता है जिसके लिए हमारी भावी पीढ़ी को संस्कारवान शिक्षा देने का हमारा प्रयास हो।
इससे पूर्व में आंगतुक अतिथियों का माल्यार्पण कर व शॉल ओढ़कार सम्मान किया गया। समरोह के दौरान समाज की करीबन सौ से भी अधिक शैक्षणिक प्रतिभावों को अतिथियों ने प्रतीक चिह्न व प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानीत किया। कार्यक्रम के दौरान संयोजक कुदंनदास स्वामी,गोपालपुरा महंत तनसुखदास,महंत नत्थुदास,श्यामसुंदर स्वामी,पूसादास सामौता,खडगदास,आनंद रामावत,मांगीलाल खिलेरी,शिवभगवान रांकावत,कमल कड़वा,पंकज घासल,एडवोकेट जगदीश स्वामी,भगवानदास स्वामी,सुबोध भास्कर व दुर्गादास सहित अनेक लोग मौजूद थे। संचालन किशोरदास स्वामी ने किया।