न्यायालय परिसर स्थित सानिवि के गेस्ट हाउस में कार्यकार्ताओं से मिलने आए राजस्थान किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कृष्ण कुमार सारण ने रविवार को एक प्रेस वार्ता में प्रदेश के किसानों के हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संगठन का लक्ष्य है किसान को उसकी उपज का वास्तविक लाभ मिले। उन्होंने कहा कि किसान को अनावृष्टि की क्षतिपूर्ति भी मिले व खेती को उद्योगों के समान दर्जा मिल ताकि प्रदेश के किसान को मुसिबतों से छुटकारा मिले व एक स्वाभिमानता के साथ जीवन जीने का हक मिले। उन्होंने कहा कि इसके लिए मुख्यमंत्री को एक 42 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा गया है, जिसमें लिखित मांगों को अगर शीघ्र नहीं माना गया तो प्रदेश के किसानों को एक जुट कर व्यापक स्तर पर आंदोलन किया जायेगा। किसानों के लिए देश में बने कर्अ कानूनों को बदलने की बात भी कही। इस अवसर पर इन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार को रोजाना तेल के कुओं से करीबन 15 करोड़ की आय हो रही है जिसे प्रदेश के 722 बांधों में पानी के लिए खर्च किया जाना आवश्यक है।
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि देश में एक सीजन मात्र में चूहे 3 लाख 40 हजार टन चावल व 3 हजार टन गेंहू खा गए। उन्होंने बताया कि सरकार ने आज तक किसानों के लिए 2004 में गठित किए गए स्वामीनाथन आयोग की 2006 में पेश की गई रिनोर्ट को लागू नहीं किया। उन्होनें बताया कि पूरे प्रदेश में किसानों को जागरूक करने व लागत मूल्य सीखाने के उद्देश्य के चलते किसान चेतना यात्रा जयपुर से शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि नोहर तहसील के गांव फेफाणा के किसान विगत मई से पानी के लिए धरने पर बैठे हैँ मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष लच्छुराम पुनीयां ने बताया देश के गांवों में किसानों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।
सरकार की दोगली नीति के चलतें किसान आज आत्महत्या पर मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि किसान से फसल बीमा के रूप में राशि ली जाती है,पर नुकसान का आकलन तहसील स्तर पर 51 प्रतिशत के रूप में किया जाता है। जो कि सरासर गलत है इसे बंद किया जाना चाहिये। इससे पूर्व युनीयन की नई कार्यकारिणी गठित कर तहसील ईकाई अध्यक्ष आबसर के कुंदनमल पुनीयां को नियुक्त किया गया। इस दौरान प्रदेश महासचिव इलियास खां, जगदीश सिंवल, अन्नराम गुलेरिया, मुश्ताक खां हाथीखानी, बेगराज सारण, लालचंद दर्जी, हरीराम हुड्डा, भगवानाराम ज्याणी, बीरबलसिंह चाहर, ईश्वरराम रणवां व सियाशरण किसान मौजूद थे।