शाबान की 15 वीं रात शबे – बरात निहायत अकीदत से कस्बे में मनाई गई। कस्बे की ईदगाह, जन्नतुल फिरदौस, हाशमी, मस्जिद, तकिया हजरत बदरूद्दीन शाह, मस्जिद तौकिर हसन, मदीना मस्जिद, मस्जिद लीलगरान, मस्जिद होली धोरा, मक्का मस्जिद आदि में उम्रदराजी रिज्क में बरकत तथा मुसीबतों एवं बलाओं से हिफाजत के लिए 6 रकअत नफल नमाज का विशेष आयोजन किया गया। ईसा की नमाज के बाद हुए कार्यक्रम में शाबान के महीने में शबे बरात की फजीलत बयान हुई। ईदगाह में हुए जलसे में हाफिज जुबैर सलामी ने बताया कि शबे बरात की इस मुकद्दस रात में साल भर के लिए तमाम बन्दों का रिज्क मुकर्रर होता है। उसके आमाल के मुतअल्लिक फैसले होते हैंं तथा जिन्दगी और मौत का वक्त मुकर्रर होता है। पूरी रात नफली नमाज, तिलावते कुरान, तस्बीह पढ़कर लोगों ने अपने गुनाहों से तौबा की और इबादत में गुजारी। अल सुबह मुसलमानों ने बड़ी संख्या में कब्रिस्तान गये और अपने मरहूम रिश्तेदारों के लिए दुआयें मगफिरत की। उक्त जानकारी हाजी शम्सूद्दीन स्नेही ने दी।