निकटवर्ती ग्राम सालासर के मोहनधाम में लक्ष्मीनारायण पुजारी के सानिध्य में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आगाज लखनऊ की कवियत्री श्रीमती सुफलता त्रिपाठी ने सरस्वती वंदना से किया। कवि हरिओम पारीक ने हास्य की फुलझडिय़ों से श्रोताओं को खुब हंसाया। अलवर के कवि परवेन्द्र पण्डित ने समसामयिक गीतों से कार्यक्रम को नई दिशा प्रदान की।
मुम्बई के गीतकार चन्दन राय ने श्रृंगार रस के गीतों से कार्यक्रम को रसमय बना दिया। नाथद्वारा के लोकेश महाकाली ने हास्य की पेरोडिय़ां एवं गीतों के माध्यम से श्रोताओं की खुब तालियां बटोरी। बालाघाट मप्र से आई कवियत्री माधुरी किरण ने श्रोताओं को खुब गुदगुदाया। मध्यप्रदेश के बदनावर के हास्य कवि राकेश शर्मा ने हास्य व्यंग्य की कविताओं के माध्यम से सरकारी तंत्र पर व्यंग्य किये। जिसकी श्रोताओं ने खुब सराहना की। लखनऊ की कवियत्री श्रीमती सुफलता त्रिपाठी सामाजिक परिवेश पर गीत पढ़े, जिससे माहौल में एक नया मोड़ आया। देश के ख्यातनाम कवि जानी बैरागी ने कार्यक्रम को हास्य व्यंग्य के माध्यम से नई ऊंचाईयां प्रदान की।
अन्तराष्ट्रीय कवि एवं गीतकार कुंवर जावेद कोटा ने अपने चिरपरिचित अंदाज में गीत गजल प्रस्तुत कर मंच को नई ऊंंचाईयां प्रदान की। आयोजकों ने मंच पर फुलों की बरसात कर कार्यक्रम की सफलता पर मुहर लगाई। कार्यक्रम का सफल संचालन भीलवाड़ा के ओम तिवाड़ी ने किया तथा अध्यक्षता पं. लक्ष्मीनारायण दाधीच ने की।