
पुलिस ने दहेज हत्या की गुत्थी सुलझाते हुए मृतका को अपनी ही हत्या के आरोप में अपने प्रेमी के संग गिरफ्तार किया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल क्याल की उपस्थिति में पुलिस उपाधीक्षक नितेश आर्य ने बताया कि गत 18 मई को वृत क्षेत्र के साण्डवा थाने में मानाराम पुत्र केशुराम जाट निवासी नोहडिय़ा ने दहेज के लिए अपनी पुत्री सीता की जलाकर हत्या करने के आरोप में पति ओमप्रकाश, ससुर लिखमाराम तथा जेठ मनोज के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज करवाया था। जिस पर अनुसंधान करते हुए पुलिस मृतका सीता को अपनी ही हत्या के आरोप में प्रेमी नरसी के साथ गुजरात के बड़ौदा शहर से पकड़ कर शनिवार देर शाम सुजानगढ़ ले आई।
आर्य ने बताया कि नरसी व सीता के बीच सीता की शादी से पहले से ही अवैद्य सम्बन्ध थे, जो शादी के बाद भी जारी थे। सीता के अलावा दो अन्य महिलायें भी नरसी के सम्पर्क में थी। आर्य ने बताया कि हत्या के घटनास्थल का मुआयना करने के बाद पुलिस को वहां पदचिन्ह मिले। जिस पर पुलिस ने कथित मृतका सीता के मोबाईल की कॉल डिटेल निकलवाई। जिसमें उस दिन एक ही नम्बरों पर बार-बार बात करना पाया गया। जिसके बाद उन नम्बरों की जांच की गई तो उन नम्बरों से तीन जनों से बार-बार बात करना सामने आया। जिनमें से एक नम्बर सीता का था तो दूसरा नम्बर राजूदेवी निवासी दड़ीबा का तथा एक अन्य नम्बर गोपालपुरा की किसी महिला का था। जिस पर पुलिस ने जांच में पाया कि घटना के दिन से राजू देवी अपने पीहर से ससुराल जाने का कहकर निकली थी, जो वापस नहीं लौटी। जिसकी गुमशुदगी रिपोर्ट उसके पिता लिखमाराम प्रजापत ने छापर थाने में 20 मई को दर्ज करवाई थी।
नारायणराम प्रजापत की पत्नि राजूदेवी तीन बच्चों की मां थी, जो 17 मई को सुबह अपने पीहर आई थी तथा शाम को अपने ससुराल जाने का कहकर गई थी। जो ना ससुराल पंहूची और ना ही वापस पीहर आई। इसके बाद पुलिस ने गोपालपुरा की महिला से सम्पर्क किया तो उसने बताया कि पड़ौसी गिरधारी ने उसे नरसी से मिलवाया था। पुछताछ में गिरधारी ने बताया कि नरसी पांच दिनों से उसके पास ही था तथा ये नम्बर नरसी के है और वह अभी बड़ौदा है। इससे पूर्व पुलिस ने नरसी के नम्बरों की जांच में पाया कि सीम नोखा तहसील के गांव सोमलसर निवासी नारायणराम की आईडी से ली गई है। नारायणराम से पुछताछ करने पर उसने बताया कि करीब 3-4 साल पहले उसकी आईडी खो गई थी। नरसी के बारे में पता चलने पर एएसआई बजरंगलाल के नेतृत्व में पुलिस की टीम गठित कर बड़ौदा भेजी गई। जहां पर पुलिस ने कथित मृतका सीता के साथ नरसी पुत्र रतनाराम प्रजापत निवासी जोगलसर को पकड़ लिया और शनिवार शाम को सुजानगढ़ ले आई। आर्य ने बताया कि प्रारम्भिक पुछताछ में दोनो ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।
प्रारम्भिक पुछताछ में नरसी ने बताया कि शादी से पूर्व से उसके सीता के साथ अवैद्य सम्बन्ध थे, जो शादी के बाद भी जारी थे तथा राजू से भी उसकी बात होती थी। घटना वाले दिन राजू को लेकर वह गोपालपुरा- रूपेली के मध्य स्थित गिरधारी के खेत पर राजू को ले गया और वाहं बने चबूतरे पर उसका गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। उसके बाद उसने पचेवड़ी में (बाजरे की सीटियां तोड़कर रखने के काम आने वाला बोरा) डालकर गेड़ाप स्थित सीता के ससुराल की ढ़ाणी पर ले गया। जहां उसने मोटरसाईकिल से राजू के शव को छप्पर तक लाने में सीता ने मदद की। राजू के शव को छप्पर में लाने के बाद छप्पर को आग लगा दी और उसके बाद वह गोपालपुरा आ गया और उसने अपनी मोटरसाईकिल गिरधारी को दे दी और दूसरे दिन सुबह दोनो जयपुर, सुरत होते हुए बड़ौदा पंहूचे। जहां से पुलिस दोनो को पकड़ कर सुजानगढ़ ले आई। ये अपनी तरह का अनोखा का मामला है, जिसमें मृतका ही हत्यारी निकली है।
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