सोमवार की रात ख्वाजा गरीब नवाज रोड़ पर अल्लामा अशफाक हुसैन नईमी मुफ्ती ए राजस्थान की सरपरस्ती एवं पीरे तरीकत सैयद जहूर अली अशरफी की सदारत में ‘जलसा-ए-रहमते आलम का शानदार आयोजन किया गया। नाजिमे जलसा मंसूर आलम ने जिलावते कुरआन से इसका आगाज किया। प्रमुख वक्ता दिल्ली के इंजि. फजलुल्लाह चिश्ती ने कुरआन ओ हदीस व विभिन्न मतो के मुस्लिम विद्वानो की किताबों से तहरीरी हवाला देकर रसूले करीम के जिन्दा होने , इल्मेगैब, मिलादुन्नबी के जलसे व जुलूस तराबीह , उर्स मनाना, कब्रो पर फूल एवं संगोपांग चर्चा की।
उन्होने कहा कि इन मसाईल पर सुन्नत वल जमात का अकीदा एक दम दुरस्त है जिनकी ताईद अहले हदीस व देवबन्दियों के बड़े बड़े उलमा भी कर चुके है। उन्होने कहा कि इस्लाम ने बेटी को बाप की सम्पति में अधिकार दिया है। महिलाओं की महिमा बखान करते हुए कहा कि मांग के कदमों के नीचे जन्नत है। बारहवीं शरीफ का जुलूस निकालना, उर्स का आयोजन करना, खाना पर फातेहा, जायज है। एक प्रश्र के उत्तर में उन्होने कहा कि मुसलमान बच्चो के लिए दीनी समझ के साथ स्कूली व कॉलेज की शिक्षा आज की आवश्यकता है इसके बिना समाज को पसमान्दगी से निजात नही मिल सकती। इससे पूर्व कारी रईस अहमद सिद्दीकी ने नाते पाक व मनकब तगौसे पाक पेश की। जयपुर के कारी इमरान ने आलाहजरत अहमद रजा खां के कलाम सुनाकर महफिल को परवान चढाया।
आंखो को मेरे शम्सो दोहा करदो। गमो की धूप में वो साया ए जुल्फे अता करदे, को खूब दाद मिली। जलसा आयोजक अब्दुर्रहमान अगवान ने आलिमो व सभी हाजरीन को इस्लामी साहित्य भेंट किया। इस अवसर पर शहर काजी मो. आरीफ, सैयद मो. अयुब, निसार अहमद, हाफिज लियाकत अली, सैयद महमूद तनवीर अहमद, शकील अहमद, मौलाना आजिर हुसैन, महरूदीन, हाफिज जुबेर इमामुद्दीन सहित बड़ी संख्या में मुस्लिम विद्वान एवं श्रद्धालु उपस्थित थे।