राजस्थान विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार अक्षय तृतीया पर होने वाले बाल विवाह की रोकथाम के लिए आयोजित होने वाले विधिक साक्षरता शिविरों की श्रंखला में ताल्लुका विधिक सेवा समिति सुजानगढ़ के तत्वाधान में बालाजी नर्सिंग इन्स्टीट्यूट में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विश्वबंधु ने बाल विवाह से होने वाले सामाजिक दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिसे प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति द्वारा अपने पूर्ण मनोयोग व भावना के साथ बाल विवाह को रोकने में अपना योगदान देने से बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति व बुराई को समाप्त किया जा सकता है।
एसीजेएम विश्वबंधु ने उपस्थित छात्र-छात्राओं से बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के आगे आने का आह्वान करते हुए भारतीय नागरिकों के कर्तव्यों के साथ अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया। शिविर में न्यायिक मजिस्ट्रेट राजेश कुमार दडिय़ा ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की व्याख्या करते हुए बाल विवाह करने व करवाने वाले एवं बाल विवाह में शामिल होने वाले व्यक्तियों के लिए दिये गये कानूनी प्रावधानों की जानकारी देते हुए बाल विवाह को कैसे व किस प्रकार रोका जा सकता है, के बारे में जानकारी दी। शिविर में इन्स्टीट्यूट के प्राचार्य हरिराम ने विचार व्यक्त किये। निदेशक पूसाराम चन्देलिया भी उपस्थित थे तथा संचालन रोहिताश गोदारा ने किया।