केवल हरिनाम सुमिरण ही करता है भवसागर पार

स्थानीय अग्रसेन भवन में ओमप्रकाश सराफ द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिन गुरूवार को व्यासपीठ पर विराजमान भागवत मर्मज्ञ पं. दीनदयाल दाधीच ने कथा में बताया कि परीक्षित का जन्म कलियुग का आगमन तथा कुन्ती के द्वारा भगवान श्री कृष्ण से विपत्ति देने का आग्रह करना क्योंकि विपत्ति के समय प्रभू का स्मरण रहता है।

दु:ख में सुमिरण सब करे सुख में करे ना कोय, जै सुख में सुमिरण करे तो दु:ख काय को होय। पं. दाधिच ने कहा कि प्रभु भक्तों के सदैव साथ रहते है तथा रामायण के सेतुबंध का उदाहरण देते हुए कहा कि राम नाम लिखे पत्थर सुमुन्द्र के जल में तैर रहे थे। प्रभुनाम का स्मरण हरपल करने से ही इस भवसागर से तिर सकते हो। कथा के पूर्व व्यासपीठ पर विराजमान भागवत मर्मज्ञ पं. दीनदयाल दाधीच का ओमप्रकाश सराफ, माणकचंद सराफ,कैलाशचंद सराफ,महेश सराफ, रमेश सराफ, सुरेश सराफ, दिनेश सराफ, सांवरमल सराफ, श्रीमती शांतिदेवी सराफ, चन्दादेवी, सरिता, रेखा, पिंकी सराफ ने माला पहनाकर स्वागत किया तथा भागवतजी का पूजन किया। इस दौरान केशरीचन्द शर्मा, पं. लिखमीचन्द शर्मा, मधुसुदन अग्रवाल, बंशीधर शर्मा, मनोज गोठडिय़ा आदि उपस्थित थे।

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