स्थानीय अग्रसेन भवन में आयोजित ओमप्रकाश सराफ द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का अमृतपान करवाते हुए व्यासपीठ पर विराजमान मुम्बई से पधारे पं. दीनदयाल दाधीच ने सती अनुसुइया की कथा के माध्यम से सती महिमा का महत्व बताते हुए कहा कि अनुसुइया ने सतीत्व प्रभाव से ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों को छोटे-छोटे बालक बनाकर अपने आश्रम में उन्हे स्तनपान करवाया। महाराज ने कहा कि सती अपने सतीत्व से बड़े से बड़े चमत्कार कर सकती है।
कथा मर्मज्ञ पं. दीनदयाल ने भक्त नामदेव की कथा श्रवण करवाते हुए कहा कि नामदेव जी के बीमार होने पर भगवान विटठलनाथ जी ने उनके घर जाकर अपने भक्त की खुब सेवा की। भक्त ध्रुव की कथा का वर्णन बताते हुए महाराज ने कहा कि जिस प्रकार बालक होते हुए हुए धु्रव ने अपनी भक्ति के बल पर प्रभु के परमपद को प्राप्त किया है, उसी प्रकार भक्त प्रहलाद और नृसिंह अवतार के दौरान भक्ति के महत्व को बताया। महाराज ने गजेन्द्र मोक्ष के माध्यम से प्राणीमात्र द्वारा सच्चे ह्रदय से पुकारने पर रक्षा करने के लिए भगवान के दौड़े चले आने का वृतांत सुनाया। कथा के दौरान महाराज ने कहा कि लोभवश की हुई सेवा माता-पिता की सच्ची सेवा नहीं है, नि:स्वार्थ सेवा ही सच्ची सेवा है।
वामनावतार की कथा सुनाई तथा वामनावतार की मनमोहक झांकी भी सजाई गई। कथा के दौरान भक्त अम्बरीश, भागीरथ द्वारा गंगा अवतरण तथा राम-कृष्ण जन्म की कथा एवं लीला का सुमधुर सांगीतिक वर्णन किया। इस अवसर पर श्रीकृष्ण के जन्म की झांकी सजाई गई। कथा प्रारम्भ होने से पहले ओमप्रकाश सराफ एवं उनके पुत्रों द्वारा श्री भागवत जी की पूजा-अर्चना की गई। कैलाश सराफ, मधुसूदन अग्रवाल, बंशीधर शर्मा, शिवकुमार सराफ, सांवरमल अग्रवाल, जगदीश प्रसाद जालान, साधुराम जगवानी, माणकचन्द सराफ, जितेन्द्र सराफ, सीताराम बगडिय़ा, महेश सराफ, दिनेश सराफ, आनन्द सराफ, विकास सराफ, मुरारीलाल सराफ ने माला पहनाकर कथा वाचक पं. दीनदयाल दाधीच का स्वागत किया।