विभिन्न सांग से अपनी कला का प्रदर्शन कर लोगो का मनोरजन करने वाले बेहरूपियां की कला दिन प्रतिदिन लुप्त होती जा रही है। फिर भी अपने पेट के लिए विभिन्न सांग से लोगो का मन जीतने के लिए विभिन्न शहरो घूम रहे है। प्राचीन काल से चल रही परम्परा सांग बेहरूपियां अपनी कला के जोहर से लोगो का मन लुभाने व हंसी से मंत्रमुग्ध करने वाले कलाकारो का व्यवसाय दिन प्रतिदिन लुप्त हो रहा है।
पिछले तीन दिनो से सुजानगढ कस्बे में रतनगढ के भाड केशराराम पुत्र सतुराम के तीन साथियो द्वारा शुक्रवार को खलनायक का रोल सांग कर लोगो को अपनी और आकर्षित करने का प्रयास किया। एक बार बेहरूपिया के संाग से आकर्षित व अचम्भित होकर घबरा जाता है लेकिन जब वास्तविकता सामने आने पर वह अपनी हंसी को रोक नही पाता है।
केशराराम ने बताया कि बावन रूप करके लोगो को आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा परन्तु बीस-पच्चीस वर्ष पूर्व जो सम्मान मिलता था वो आज-कल नही मिल रहा है। जबकि कई शहरो में अच्छे सांग के लिए वाह के लोगो द्वारा सम्मान किया जाता था। लेकिन मनोरंजन के अनेक साधन होने के कारण हमारी कला निरन्तर लुप्त हो रही है। लुहार-लुहारनी, हीर-रांझा, पुलिस इंस्पेक्टर, पागल सहित ऐसे अनेक सांग से लोग काफी प्रभावित होते है।
पेठ के लिए विभिन्न वेशभूषा सांग करने के बाद मामूली रकम जुटा पा रहे है। मैकअप में जो पहले खर्च होते थे आज-कल अधिक राशि खर्च हो रही है। महंगाई की मार हमारे पर भी पड़ी है। महंगाई के कारण कुछ सांगो को भारी खर्च वहन करने के बाद मुनासिफ , मेहताना नही मिलने पर निराश होना पड़ रहा है फिर भी पुश्तैनी धंधा होने के कारण इस धंधे को बरकरार रखने के लिए लोगो की पसंदिदा सांग कर लोगो से वाही-वाही लुटने से प्रसन्नता जाहिर होती है। शादी-विवाह व अन्य कार्यक्रमो में भी विभिन्न सांगो का महत्व होता है।