सुजानगढ़ शहर में लोगो ने मकर सक्रांति बड़ी धूम धाम से मनाया । मौसम भी अच्छा होने के कारण और हवा भी अच्छी चल रही थी जिसके कारण लोग सुबह जल्दी ही सब अपनी छतो पर चढ़ गये और अपनी छतो पर साउंड सिस्टम लगा लिया और तेज आवाज में गानों का आनंद लिया और जोर जोर से ‘वो काटा’ का शोर शुनाई दिया । इस त्यौहार पर सभी उम्र के लोग एक सम्मान हो जाते हैं छोटे बच्चे भी पतंग उड़ाने में पीछे नहीं रहे सुजानगढ़ के पूर्व चेयरमैन हाजी गुलाम सदीक छींपा के घर पर उनके पोते ‘सलमान भाटी’ और उनकी परपोती ‘आयत भाटी’ मकर सक्रांति का आनंद लेते हुए ।
बाजार का हाल तो ऐसा था की जेसे सड़को पर लोग देखने को ही नहीं मिल रहे थे । बाजार 2 बजे के बाद पूरा बंद हो गया और पूरा शहर छतो पे चढ़ गया । आकाश में देखने से लग रहा था की जेसे चारो तरफ पतंगों के अलवा कुछ नहीं पूरा आसमान अलग अलग रंगों से भर गया था । पुरे शहर में लोगो ने दान पुण्ये किये लंगेर बांटे और जरुरतमंदों को खाना और कम्बल दिए गये । घन्टा घर के पास शहर के जाने माने लोग और बहार से आये के कई मान्निये लोगो ने जन सेवा की ।
इस अवसर पर पश्चिमी राजस्थान अग्रवाल सम्मेलन के उपमहामंत्री संतोषकुमार मंगलूनिया, प्रदेश उपाध्यक्ष अरविन्द जालान, चूरू जिला अग्रवाल सम्मेलन के अध्यक्ष प्रदीप तोदी, जिला महामंत्री मुरारी फतेहपुरिया, जिला उपाध्यक्ष माणकचंद सराफ, निर्मल सराफ, राजेन्द्र सराफ, सुजानगढ़ श्रीअग्रवाल सम्मेलन के मंत्री जितेन्द्र मिरणका, कोषाध्यक्ष जितेन्द्रकुमार सराफ, समाजसेवी भगवतीप्रसाद तोदी, राधेश्याम अग्रवाल, रमेश धनावत लाडनूं, रामगोपाल पोद्दार किशनगढ़, ओमप्रकाश बगडिय़ा, बजरंग फतेहपुरिया, कन्हैयालाल तनवाल, मनोज तुनवाल, मधुसूदन अग्रवाल, सुरेश मोर, बालकृष्ण व्यास,गजानन्द जांगिड़, पवन मुंधड़ा, हरिप्रसाद तोदी, महावीर बगडिय़ा, सांवरमल पंसारी, नोरतन भेभराजका, पं.लक्ष्मीनारायण शर्मा, संजय बगडिय़ा, रामगोपाल बगडिय़ा, महेश मुंधड़ा, पवन रांकावत, हाजी गुलाम सदीक छींपा, नरसाराम फलवाडिय़ा, सांवरमल जालान, सुरेश मोर आदि ने अपनी सेवायें दी।
इसी प्रकार अगुणा बाजार में केलाश बेडिय़ा, परमानन्द मंगलुनिया, दुर्गादत बोचीवाल, बनवारीलाल बेडिय़ा, मंगतुलाल मोर के द्वारा राहगीरों को गर्मागर्म बड़े खिलाये गये। गांधी चौक मे पवन दादलिका सहित महावीर मस्त मण्डल के सदस्यों ने दरिद्रनारायण की सेवा में बढ़चढक़र हिस्सा लिया।
asman me kites ko urte dekhkar bachpan ki yaade taza ho gayi.sujangarh me bachpan me mene bhi bahur patange urai thi