स्थानीय मरू देश संस्थान के तत्वाधान में युवा साहित्यकार घनश्यामनाथ कच्छावा की नव प्रकाशित हिन्दी लघु कथाओं की पुस्तक मेरी इक्यावन लघुकथाएं का विमोचन साहित्यकार पद्मश्री विजयदान देथा ने किया। साहित्य जगत में बिज्जी के नाम से चर्चित विश्व के सर्वोच्च नोबल पुरूस्कार के लिए नामांकित साहित्यकार पद्मश्री विजयदान देथा विमोचन समारोह में कहा की वर्तमान समय में युवाओं को साहित्य से जुडऩा चाहिए।
श्रेष्ठ साहित्य सर्जन के लिए युवा खुब पढ़े और खुब लिखें। पद्मश्री देथा ने राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में अब तक शामिल नहीं करने पर खेद व्यक्त करते हुए कहा की राजस्थानी जैसी समृद्ध भाषा को सम्पूर्ण विश्व में सम्मान मिल रहा है, परन्तु अपने देश में उसे मान्यता तक प्रदान की ये जाने के लिए हिचकिचाहट चिन्तनीय है। नव प्रकाशित पुस्तक की प्रथम प्रति के प्रथम पृष्ठ पर अपने हस्ताक्षर करते हुए कथाकार घनश्यामनाथ कच्छावा को शुभकामनाएं व बधाई दी। बोरूंदा में आयोजित विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्राचार्य भंवरसिंह सामौर ने कहा की इस सदी के कालजयी रचनाकार विजयदान देथा की जन्मस्थली बोरूंदा साहित्यकारों के लिए पवित्र तीर्थ के समान है।
अत: इस तीर्थस्थल पर स्वयं देथा के हाथों से किसी पुस्तक का विमोचन होना हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है। इस अवसर पर वरिष्ठ गीतकार शंकर इंदलिया इंदल और सबल महिला शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय के निदेशक महेन्द्र देथा ने भी विचार व्यक्त किये। मरूदेश संस्थान के सचिव कमलनयन तोषनीवाल, कार्यक्रम संयोजक किशोर सैन व संस्था के गिरधर शर्मा ने पद्मश्री विजयदान देथा का शॉल ओढ़ाकर अभिनन्दन किया। पुस्तक के लेखक मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष घनश्यामनाथ कच्छावा ने पुस्तक के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए आभार प्रकट किया। धन्यवाद ज्ञापन संयोजक किशोर सैन ने किया।