कस्बे के कनोई बिल्डिंग के सामने झांबररमल राजोतिया की सौजन्य से चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा वाचक देवकीनन्दन दाधीच ने सती के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए धु्रव का बड़ा ही सुन्दर चरित्र सुनाया। देवकी ने कहा की संसार एक बंजारो का घर है तथा शरीर कुम्हार का घड़ा है जो कभी भी फूट सकता है।
अत: जीव को पूर्ण निष्ठा के साथ संतो की सेवा करते हुए प्रभू के चरणो में मन को समर्पित करना चाहिए। उन्होने नरको का बड़ा ही मार्मिक वर्णन करते हुए कहा की जीव को पाप की श्रेणी के अनुसार नर्क मिलता है तथा सजा मिलती है। जीव को नर्क से बचने के लिए प्रभू का नाम स्मरण कदापि नही छोडऩा चाहिए। जैसा की अजामिल ने एक बार नारायण का नाम लेकर परम प्राप्त कर लिया।
शास्त्री जी ने वृत्रासुर चरित्र भी बड़ा मार्मिक सुनाया। प्रहलाद चरित्र वर्ण, धर्म, आश्रम, गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की कथा कहते हुए तृतीय दिवस की कथा का विश्राम हुआ। आरती से पहले यजमान झाबरमल राजोतिया कथा वाचक देवकीनन्दन शास्त्री का माला पहनाकर स्वागत किया।
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