इस्लामिक नव वर्ष हिजरी संवत 1433 का स्वागत

रविवार रात्री को इस्लामिक नव वर्ष हिजरी संवत 1433 का स्वागत करने के लिए मुस्लिम समाज द्वारा कादरी चौक में  इस्तकबाले नया साल कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। तिलावते कुरान से प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में पीरे तरकीत सैयद जहूर अली अशरफी ने हिजरी संवत की ऐतिहासिक प्रष्ठभुमि पेश करते हुए कहा की हजरत उमर फारूक के जमाने में नबी-ए-करीम के मक्का से मदीना हिजरत करने के दिन से इस संवत की बुनियाद पड़ी।

इसलिए इसे हिजरी संवत कहा जाता है। इस सन का पहला महीना मुहर्रम है, जिसकी आज पहली तारीख है। इस इस महीने में हजरत इमाम हुसैन व उनके साथियों ने बातिल से लड़ते हुए हक के लिए अपनी शहादत दी।


कारी बिलाल काजी ने हुसैन जैसा शहीदे आजम जहां में कोई हुआ नहीं है.. सुनाकर शहीदानेकर्बला को खिराजे अकीदत पेश किया। हाफिज शाकिर रिजवी, मोहम्मद पंवर, मो. इरशाद, हाफिज अकरम व मो. अकबर ने नातिया कलाम पेशकर नये साल का स्वागत किया। हाफिज जुबैर आलम व मौलाना मसउदुज्जा ने इल्म का महत्व स्पष्ट करते हुए कहा कि इल्म रोशनी है और जहालत अंधेरा। इल्म हासिल करना प्रत्येक मुसलमान का फर्ज है।

इस अवसर पर बीकानेर विश्वविद्यालय कि उर्दू परीक्षा में सर्वोच्च अंक हासिल कर स्वर्ण पदक से राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा पुरूस्तक किये जाने वाले जावेद काजी का अभिनन्दन किया गया। सैयद जहूर अली ने उसकि दस्तारबन्दी की तथा हाजी शम्सूद्दीन स्नेही ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया, जबकि हासमी हुफ्फाज कमेटी के मौलाना सलाम खीची एवं कादरी वेलफेयर कमेटी के मोहम्मद पंवार व साबिर खीची ने अभिनन्दन पत्र भेंट किया।

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