
संत मुरलीधर महाराज ने कहा रघुकुल रीत सदा चली आई
सुजानगढ़ के एन के लोहिया स्टेडियम में चल रहे रामकथा में कल संत मुरलीधर महाराज ने श्रीराम के वनवास गमन, राम-केवट संवाद व राम-भरत मिलाप का सुंदर और मनोहरी वर्णन किया।
उन्होंने कहा राम और भारत का मिलाप बहुत सुन्दर और मनोहर था भगवान राम जब अपने भाई भरत से मिले तो वो अपने आँखों के आंसू को रोक नहीं पाए। जब श्रीराम के राजतिलक की तैयारियां चल रही थी तब देवताओं की प्रार्थना पर मां सरस्वती ने मंथरा के माध्यम से कैकयी की बुद्घि भ्रष्टï कर दी।
महाराज दशरथ को विवश मन से भरत को राजतिलक व श्रीराम को 14 वर्ष के लिए वन में भेजना पड़ा। उन्होंने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि कैकयी को दिया हुआ वचन निभाकर राजा दशरथ ने रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाई, को सिद्घ कर दिया।संत ने कहा इसका यह भावार्थ निकलता है की मनुष्य अपना व अपनों का सर्वनाश कर लेता है।












