
सुजानगढ़ – बीदासर क्षेत्र में विगत करीब 20 दिनों से बार-बार टिड्डी दल देखा जा रहा है तथा टिड्डी दल को नियंत्रित करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी जुटे हैं। शुक्रवार दोपहर में टिड्डी दल सुजानगढ़ में दिखाई दिया। दूर से देखने पर ऐसा लग रहा था, मानो कोई आंधी आ रही है और जैसे-जैसे टिड्डी दल नजदीक आया, आसमान में एक बारगी अंधेरा छा गया। आसमान में जिधर देखा, उसी ओर टिड्डी दल नजर आ रहा था। लोग अपने घरों की छतों पर चढ़ गये तथा थालियां बजा कर टिड्डी दल को भगाने का प्रयास करने लगे।
तेज धूप में भी बच्चे बर्तन बजाकर टिड्डी दल को भगाने में जुटे हुए थे। सुजानगढ़ के नोडल अधिकारी गोविन्दसिंह राठौड़ ने बताया कि टिड्डी दल सुजानगढ़ से होता हुआ, छापर की ओर चला गया, और वहां से वह श्रीडूंगरगढ़ की ओर जाता हुआ देखा गया। राठौड़ ने बताया कि गुरूवार को बाघसरा आथुणा में टिड्डी दल ने अपना डेरा डाला था। टिड्डी दल करेजड़ा, गेड़ाप, लिखमणसर होते हुए लाडनूं की ओर चला गया। जो हवा का रूख बदलने के साथ ही मूंधड़ा से होते हुए बाघसरा आथुणा पंहूचा और उसने ढिक़ला ताल व आस-पास के खेतों में अपना डेरा डाल दिया। जिसके पश्चात चूरू के कृषि विकास उपनिदेशक वी.के. सैनी व सहायक निदेशक मोहनलाल गोदारा के निर्देशों की पालना करते हुए कृषि अधिकारी महेन्द्रसिंह शेखावत, सुपरवाइजर दिलीप व रतनलाल यादव तथा सरपंच केशाराम गोदारा के साथ मिलकर टिड्डी नियंत्रित करने के लिए अभियान चलाया गया। तीन किमी लम्बे व दो किमी चौड़े टिड्डी दल को नियंत्रित करने के दौरान 8 ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर की सहायता से कीटनाशक लेमडा का छिडक़ाव कर 355 हैक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी को नियंत्रित किया गया।
आपको बता दें कि 23 मई को बीदासर के साण्डवा, कातर छोटी, ईंयारा, सड़्ू, कांधलसर, अमरसर में दस किमी लम्बा टिड्डी दल आया, जिसने ईंयारा-सड़ू में अपना डेरा डाला था। 28 -29 मई को टिड्डी दल ने साण्डवा के धनेरू में अपना पड़ाव डाला। टिड्डी दल को नियंत्रित करने के लिए कृषि विभाग पूरी तरह से जुटा हुआ है। एक जून को टिड्डी दल एक बार फिर बीदासर क्षेत्र के गांवों में देखा गया। उसके बाद टिड्डी दल 10 जून को टिड्डी दल सालासर, पार्वतीसर में नजर आया, लेकिन वह रूका नहीं और आगे चला गया।