
मौसम में आये अचानक बदलाव के बाद बरसात के साथ ही आसमान से ओलों की बारिश हुई। ओलावृष्टि होने से एकबारगी जनजीवन थम गया। चने से बड़े आकार के ओलों की करीब 15-20 मिनट तक बारिश हुई। जिससे एक बारगी पूरी धरती ही ओलों से पट गई तथा ऐसा लग रहा था, मानो जमीन पर सफेद चादर बिछ गई हो। एक के बाद बन्दूक की गोली से भी तेज रफ्तार से ओले गिरने शुरू हुए कि थमने का नाम ही लिया। ओलावृष्टि के दौरान बेसहारा जानवर अपने लिए सुरक्षित स्थान खोजते नजर आये तो कईं स्थानों पर पक्षियों के घायल होने या मरने के भी अस्पष्ट खबरें मिली है।
बारिश होने के कारण शहर के गांधी चौक, नलिया बास, बाल्मिकी बस्ती सहित नीचले इलाकों में पानी भर गया। ओलों को देख कर बच्चों में एक अलग ही उत्साह नजर आ रहा था। बच्चे ओलों को एकत्रित कर विभिन्न प्रकार का आकार देने में जुट गये। तेज हवा के साथ हुई बारिश एवं ओलावृष्टि के कारण पेड़ों की नई कोंपले टूट कर जमीन पर बिखर गई। बरसात और ओलावृष्टि से एकबारगी तो नजारा शिमला या जम्मू कश्मीर जैसा हो गया था। ओलावृष्टि के कारण जगह-जगह कोनो में ओलों के ढ़ेर लग गये। वहीं कुछ लोग इसे प्रकृति का कहर बता रहे हैं।
लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण की विश्व व्यापी महामारी के इस दौर में समय से पहले समय अन्तराल के साथ बरसात का होना और आज ओलावृष्टि होने का अर्थ है कि ईश्वर हम से नाराज है तथा प्रकृति के साथ मानव द्वारा की गई छेड़छाड़ और प्राकृतिक संसाधनों का जबरदस्त तरीके से किये गये दोहन का ही परिणाम है कि आज राजस्थान के चूरू जिले के सुजानगढ़ शहर में ओलावृष्टि हुई है, जबकि यह समय तो तेज गर्मी का है, जब वातावरण का तापमान प्राय: पचास डिग्री के आस पास रहता है। जानकारों का कहना है कि समयान्तराल से बरसात होने के कारण इस बार राजस्थानी सब्जी सांगरी व खिंपोली बहुत ही कम मात्रा हुई है, जबकि यह सब्जियां तेज गर्मी हो तो बहुतायात में होती है।