
राजस्थानी भाषा और साहित्य के मूर्धन्य विद्वान सुजानगढ़ तहसील के गांव बोबासर निवासी भंवरसिंह सामौर को देश के प्रतिष्ठित कवि श्रीकाग लोक साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया है। गुजरात के श्री काग धाम में गुरुवार रात्रि को आयोजित समारोह में सामौर को संत मोरारी बापू ने अभिनंदन पत्र, शॉल, दुपट्टा, प्रतीक चिन्ह और इक्यावन हजार रुपये की राशि का चैक प्रदान किया।
इस अवसर पर मोरारी बापू ने कहा कि राजस्थानी लोक साहित्य की परम्परा को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने में भंवरसिंह सामौर का योगदान अद्वितीय है। उन्होने भंवरसिंह सामौर को लोक साहित्य का गौरव बताते हुए कहा कि लोक संस्कृति का संरक्षण करना आवश्यक हैं। लोक संस्कृति, भाषा व साहित्य ही हमारे विकास को आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने इस अवसर पर भंवरसिंह सामौर की पुस्तक ‘आऊवा का धरना’ के नवीन संस्करण का विमोचन भी किया। इस अवसर पर सामौर ने अपने उद्बोधन में राजस्थानी और गुजराती दोनों भाषाओं के अन्तर्सम्बन्ध की महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए राजस्थानी की समृद्ध लोक परम्परा पर व्याख्यान दिया।
इस अवसर पर ज्ञानपीठ अवार्डी डॉ रघुवीर चैधरी, प्रसिद्ध साहित्यकार बलवन्त जानी, बी. एस. गढवी, जगन्नाथ सिंह कविया, भंवर सिंह सामौर के पुत्र डॉ मानसिंह सामौर सहित गुजरात के अनेकानेक विद्वान उपस्थित थे। सामौर के इस सम्मान पर देश भर के साहित्यकारों ने उन्हें बधाई देते हुए हर्ष व्यक्त किया है।