शहर में चल रहा सीवरेज लाईन का काम राम भरोसे ही चल रहा है। करीब 119 करोड़ रूपये के सीवरेज लाईन के काम का कोई धणी धोरी नहीं है। कहने को तो नगरपरिषद की ओर से अधिशाषी अभियन्ता, सहायक अभियन्ता जैसे तकनीकी अधिकारी देख -रेख कर रहे हैं, लेकिन शहर में जहां-जहां भी सीवरेज का काम हुआ है, वहां पर काम में गुणवता का पूर्णतया अभाव नजर आ रहा है। चाहे पाईप लाईन डालने का हो, या उसके बाद घरों के कनेक्शन करने का हो या फिर सडक़ बनाने का। एक भी काम ऐसा नहीं है, जिसमें मापदण्डों को पूर्ण किया गया हो। सीवरेज के तहत डाली गई पाईप लाईनों का सही लेवल नहीं होने के कारण अनेक गलियों को मुख्य सडक़ की लाईन येन-केन प्रकरेण जोड़ा जा रहा है। जानकारों के अनुसार जिस तरह से सीवरेज का काम शहर में हुआ है, उसकी सफलता की गारंटी कम ही है।
सौ करोड़ से अधिक काम केवल मजदूरों और नौसीखिए सुपरवाईजरों के भरोसे चल रहा है। जिनमें से एक -दो के पास डिप्लोमा तो हो सकता है, लेकिन डिग्री किसी के भी पास नहीं है और न ही इस प्रकार के काम का अनुभव। काम की धीमी गति और मनमर्जी से बिना किसी योजनाबद्ध तरीके के करने से नगरवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। शहर में ऐसी अनेक गलियां है जहां पर सीवरेज के नाम सडक़ों को खोद कर छोड़ दिया गया है तो कईं जगहों पर पाईप लाईन डालने के बाद उनकी सुध नहीं ली गई तो अनेक ऐसे भी स्थान हैं जहां पर पाईप लाईन डालने के महीनों बाद तक होम कनेक्शन तक नहीं किये गये। एक सिरे से काम नहीं करने के कारण सीवरेज के अधिकारियों और ठेकेदार की मनमानी से शहर का आम जनमानस काफी परेशान व आक्रोशित है। मौहल्ले या वार्ड वाईज काम नहीं कर मनमर्जी से शहर को खोद कर छोड़ चूके अधिकारियों की मॉनिटरिंग के लिए आयुक्त्त के पास समय नहीं है। अनेक वार्ड पार्षद आयुक्त पर सीवरेज के अधिकारियों से मिलीभगत के आरोप लगा रहे हैं। अनेक लोगों का कहना है कि इतने बड़े काम में काम करने वाली कम्पनी की ओर से कोई उच्च स्तरीय अधिकारी यहां पर नहीं लगाया हुआ है। वहीं नगरपरिषद के अधिशाषी अभियन्ता अशोक जांगीड़ कहते हैं कि कम्पनी की ओर से प्रोजेक्ट मैनेजर सहित अनेक अधिकारी लगाये हुए हैं।
परिषद के अनेक वार्ड पार्षदों का आरोप है कि नगरपरिषद के अधिकारी कभी मौके पर जा कर काम की जांच नहीं करते हैं, जिसका परिणाम है कि सीवरेज के काम की गुणवता सही नहीं है। सडक़ों का सही लेवल नहीं है तो सडक़ निर्माण के महीनों बाद भी जो चैम्बर सडक़ से दो-तीन इंच नीचे या ऊपर है, उन्हे सही नहीं किया गया है। जबकि अधिकारियों से बात करने पर उनका जवाब है कि आप जगह बताईये एक-दो दिन में ठीक करवा देंगे। जबकि इन ऊंचे-नीचे चैम्बरों के कारण पैदल व दुपहिया वाहन चालक चोटिल हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा सीवरेज के काम का ठेका चाईना की कम्पनी को दिया गया है, जिसने ठेका सबलेट कर दिया और सबलेटर ने ठेका स्थानीय स्तर पर ठेकेदारों को दे दिया। मुख्य ठेकेदार से भुगतान नहीं मिलने पर जिस स्थिति में काम है, उसी स्थिति में स्थानीय ठेकेदार काम रोक देते हैं और खामियाजा आम जन को भुगतना पड़ता है। भुगतान के अभाव में अनेक बार काम रूक चूका है। बताया जा रहा है कि ठेकेदार के पास ना तो पर्याप्त संख्या में मजदूर है और ना ही सामान, इसलिए वह कभी इधर तो कभी उधर करके यह जता रहा है कि काम चल रहा है। सीवरेज के काम में इतनी ढि़लाई और परेशानियों के बावजूद ठेकेदार का भुगतान समय पर हो रहा है। आम जनता दु:ख पाये तो पाये उससे अधिकारियों को क्या फर्क पड़ता है।
यह फर्क नहीं पड़ता है, इसीलिए काम मौहल्ले या वार्ड वाईज एक बार भी नहीं हुआ और शहर का एक भी मौहल्ला या वार्ड नहीं है, जिसमें काम पूरा हो गया हो। कहने को तो सुजानगढ़ दबंग काबिना मंत्री का गृह नगर है, लेकिन सीवरेज के अधिकारियों और ठेकेदार के काम करने के तरीके को देखते हुए तो नहीं लगता है कि प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों में शुमार मंत्री महोद्य की सख्ताई का इन पर कोई असर है। अब देखना यह है कि राजस्थान सरकार में वरिष्ठ मंत्री मा. भंवरलाल मेघवाल किस प्रकार अधिकारियों और ठेकेदार पर नकेल कसते हैं और किस प्रकार इस बिगड़े हुए काम को सही करवाते हैं?
Credit:- राजकुमार चोटिया