कूट रचित व फर्जी हस्ताक्षर कर न्यायालय को गुमराह करने का मामला दर्ज

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स्थानीय पुलिस थाने में फर्जी हस्ताक्षर कर न्यायालय को गुमराह करने का मामला जरिये इस्तगासे के दर्ज हुआ है। पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार मदनलाल पुत्र नानूराम माली निवासी नलिया बास, सुजानगढ़ ने जरिये इस्तगासे के रिर्पोट दी कि मुस्तगीस का एक मुकदमा मदनलाल बनाम कान्ता वगैरह अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सुजानगढ़ के यहां चल रहा है। जिसके जवाबदावा पर रामलाल पुत्र स्व. मालचन्द माली, कान्ता पुत्री रामलाल माली निवासीगण बुच्चा गेस्ट हाऊस के पास सरदारशहर के हस्ताक्षर नहीं करवाकर माणकचन्द पुत्र मालचन्द भाटी, नरेश पुत्र पूनमचन्द भाटी, कालूराम पुत्र मानाराम सेन निवासीगण सरदारशहर ने स्वयं ही फर्जी व कूट रचित हस्ताक्षर कर न्यायालय में पेश कर दिया था।

जिसकी नकलों का अवलोकन करने के बाद न्यायालय के आदेश पर एएसपी राजकुमार चौधरी ने प्रकरण की जांच की। न्यायालय में भी रामलाल व कान्ता ने अपने हस्ताक्षर होने से इंकार किया था। मुस्तगीस की मांग पर न्यायालय के आदेश पर पुलिस फाोरेन्सिक साईन्स लेबोरेट्री, दस्तावेज परीक्षक व फोरेन्सिक सलाहकार जयपुर के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डा. दिनेश सेठी ने जांच के बाद अपनी रिर्पोट में जवाबदावे पर किये गये हस्ताक्षरों को सही हस्ताक्षरों से भिन्न बताया। इस्तगासे में मुस्तगीस ने लिखा है कि पहले दर्ज करवाये गये दहेज प्रताडऩा के प्रकरण में न्यायालय द्वारा एफ.आर. को मंजूर का फाईल को दफ्तर दाखिल करने के 18 माह बाद कान्ता सैनी ने लोभवश मुस्तगीस से राशि ऐंठने, तंग व परेशान करने की नियत से सरदारशहर थाने में दोबारा धोखाधड़ी व दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज करवाया।

जिसे माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने एस.बी.क्रिमीनल मिसलेनियस पीटिशन 1169/ 08 के अन्र्तगत गलत मानकर एब्यूज ऑफ द प्रेसेस एट लॉ मानकार अभिखण्डित कर दी। जिसके 36 माह बाद सरदारशहर न्यायालय में कान्ता ने इस्तगासा पेश किया, जिसे बाद में तारानगर न्यायिक मजिस्ट्रैट के यहां अन्तिरित करने के आदेश जिला व सत्र न्यायाधीश चूरू ने दिये थे। इसी मुकदमे को तारानगर से चूरू स्थानान्तरित करवाने के लिए कान्ता ने जिला व सत्र न्यायाधीश चूरू के समक्ष आवेदन पेश किया। जिसके वकालतनामा पर कान्ता सैनी के हस्ताक्षर फर्जी अंकित किये हुए हैं। जिस पर मुस्तगीस के द्वारा पुछे जाने पर आरोपी के अधिवक्ता नरेश भाटी ने स्वयं के द्वारा कान्ता के फर्जी व कूट रचित हस्ताक्षर करना स्वीकार किया। जिसकी जांच भी डा. दिनेश सेठी से करवाई तथा सम्पतराज बोहरा जोधपुर हैण्डराइटिंग एण्ड फिंगर प्रिन्ट एक्सपर्ट से करवाई। जिससे वकालतनामा पर कान्ता के सही हस्ताक्षर नहीं होना पाया गया। मामले की जांच सुजानगढ़ सीआई प्रहलादराय कर रहे हैं।

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