बड़े अरमानों के साथ अपनी पुत्री की शादी कर उसे सुखी जीवन का आर्शीवाद देकर विदा करने वाले माता-पिता ने सपने में भी अपनी बेटी के दु:खी एवं कष्टप्रद जीवन के बारे में सोचा होगा। सुखी जीवन का आर्शीवाद देने वालों को जब मजबूरन अपनी बेटी को उसके कष्टप्रद जीवन से निजात दिलाने एवं न्याय के लिए पुलिस व न्यायालय एवं सामाजिक सम्बन्धों को सहारा लेना पड़े तो किसी पिता के लिए इससे बड़ी दु:ख की और क्या बात होगी। कहते हैं पुत्री दो परिवारों की इज्जत होती है और दोनो परिवारों के मान-सम्मान को बढ़ाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है, कुछ इसी तरह का प्रयास कस्बे की करूणा ने ससुराल पक्ष की यातनाओं को सहते हुए किया।
नगर के लुहारा गाडा निवासी पूनमचन्द नाई की पुत्री करूणा ने बताया कि 19 जुलाई 2010 को उसकी शादी छापर निवासी पूनमचन्द पुत्र डालमचन्द नाई के साथ हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार सम्पन्न हुआ था। शादी के बाद से ही सास ने दहेज में मोटरसाइकिल व कार की मांग की तथा दहेज की मांग को लेकरदादी सास रतनीदेवी पत्नि जसकरण, ससुर डालमचन्द, पति पूनमचन्द, ननद शोभा, देवर गोविन्द ताने देते व झगड़ा कर प्रताडि़त करते तथा गालियां निकालते। करूणा ने बताया कि ताऊ ससूर श्यामलाल पुत्र जसकरण नाई ससुराल वालों को तलाक के लिए उकसाता था एवं मेरे पति का दूसरा विवाह करने के लिए उकसाता था तथा सुजानगढ़ निवासी बुआ सास मेरे ससुराल वालों को बहकाती व उकसाती है।
पीडि़ता ने बताया कि 2 जुलाई को बिना कारण ही पति, सास, ससुर, देवर ननद तथा दादी सास ने गालियां निकालते हुए जबरदस्ती घर से निकाल दिया तथा देवर गोविन्द ने जबरदस्ती बस में बैठाकर सुजानगढ़ छोड़ गया। करूणा ने अपने पति पूनमचन्द, सास सुन्दरदेवी, ससुर डालमचन्द, देवर गोविन्द, ननद शोभा, दादी सास रतनीदेवी, ताऊ ससुर श्यामलाल पर क्रुरतापूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया है।