कस्बे के के.जी.एन. चौक में इस्लामिक नये साल हिजरी 1434 के आगाज पर तेलियान कादरी वेलफेयर सोसायटी द्वारा मज्लिसे इस्तकबाले नया साल नाम से जलसे का आयोजन किया गया। पीरे तरीकत सैयद जहूर अली की सदारत एवं हाफिजो, कारी अब्दुल सलाम मिस्बाही की निजामत में हुए कार्यक्रम का शुभारम्भ हाफिज जावेद दैय्या ने तिलावते कुरान से किया। हाफिज मो. आरिफ रजा ने इश्के रसूल से सराबोर नाते मुबारक यादें सरवर सुनाकर महफिल को परवान चढ़ाया। मुख्य वक्ता जहूर अली अशरफी ने नये साल का पैगाम देते हुए कहा कि 13 साल तक मक्का में अल्लाह के पैगाम सुनने और मक्का वालों के जुल्म सहने के बाद 53 वर्ष की उम्र में हजरत मुहम्मद साहब ने जिस दिन मक्का से हिजरत की। उसी दिन से इस्लामी साल हिजरी का आगाज हुआ तथा हिजरी सन कहलाया। इसी महीने की दस तारीख को नबी के नवासे इमाम हुसैन व उनके परिवारवालों व साथियों ने हक व सच्चाई के लिए शहादत दी।
उनकी शहादत त्याग व कुरबानी को दर्शाती है। अल्लाह से डरने वाला, नबी से वफादारी व मुहब्बत करने वाला ही सच्चा मुसलमान कहलाने का हकदार है। जलसे में मो. मुश्ताक दैय्या, अकरम, अकबर खीची ने हम्दो सना, नाते मुबारका एवं मनकबत की प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर मौलाना, जावेद अली, मौलाना राशिद, मो. आजिर, कारी बिलाल, मो. अकरम, गुलाम नबी, इलियास काजी, हाजी शम्सूद्दीन स्नेही, हाजी मोहम्मद खोखर, मो. साबिर खीची, शौकत तगाला सहित अनेक लोग उपस्थित थे।