व्यक्ति के जीवन में संयम और सहनशीलता के दोनो होन चाहिए जिनके माध्यम से वह अपनी इन्द्रियों को वश में कर सकता है। अणुव्रत के माध्यम से समाज का हर आम नागरिक छोटे-छोटे संकल्पों के द्वारा अपने जीवन में सुधार ला सकता है। उक्त उदगार राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष माहिर आजाद ने बतौर विशिष्ट अतिथि के कस्बें के कालू कल्याण केन्द्र रविवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में आयोजित वर्तमान समस्याओं के समाधान में अणुव्रत की भूमिका विषय पर आयोजित अणुव्रत सम्मेलन में कहे । उन्होने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन को आदेश उपदेश व आचरण से सुधार सकता है। अणुव्रत के नियमो को अपने जीवन में उतारने से व्यक्ति समाज में संयमित जीवन जी सकता है।
शासन श्री मुनि सुमेरमल सुदर्शन के सानिध्य में एवं तेरापंथ धर्मसंघ के न सम्पर्क प्रभारी मुनि जयंत कुमार के दिग्दर्शन में आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमलसिह छाजेड़ ने की जबकि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी मुख्य अतिथि व अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष माहिर आजाद,दैनिक नवज्योति जयपुर संस्करण के संपादक महेश शर्मा, अन्य पिछड़ा वर्गआयोग के सचिव सी बी शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष बसंत शर्मा विशिष्ट अतिथि थे तथा जैन विश्व भारती लाडनूं की कुलपति समणी चारित्र प्रभा प्रमुख वक्ता व रतनगढ विधायक राजकुमार रिणवां व समाज सेवी रूपचंद दुधोडिय़ा स्वागताध्यक्ष थे। महिला मंडल व कन्या मंडल की संयुक्त गीतिका के द्वारा प्रारंभ हुए कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रमुख वक्ता जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय की कुलपति समणी चारित्र प्रभा ने कहा कि आचार्य तुलसी के द्वारा प्रतिपादित अणुव्रत के माध्यम से व्यक्ति छोटे-छोटे संकल्पो को जीवन में आत्मासात करके सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है। उन्होने कहा कि वर्तमान में हमने में कई क्षेत्रो में विकास किये है लेकिन हम मानवीय मूल्यों का उतना विकास नही कर पाये है जितना हमे आज के समय में करना चाहिए था।
वर्तमान समाज में व्याप्त समस्याओं यथा भ्रूण हत्या, हिंसा, भ्रष्टाचार के समाधान के लिए अणुव्रत के ग्यारह नियम सहायक सिद्ध हो रहे है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान समय में भौतिकता के चलते नैतिकता की कमी आ रही है इन का समय रहते यदि समाधान नही किया गया तो समाज में कई और विसंगतियां उत्पन्न होगी। सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए दैनिक नवज्योति के संपादक महेश शर्मा ने कहा कि सादगी में भाईचारा व समन्वय बढाता है जबकि भौतिकवाद या धन की श्रेष्ठता समाज में विसंगतियाां पैदा करती है। उन्होने कहा कि अणुव्रत मानवता का पाठ पढाता है तथा समाज की दिशा व दशा बदलता है। सम्मेलन में संघ के जनसम्पर्क प्रभारी मुनि जयन्त कुमार ने कहा कि अणुव्रत आंदोलन कोई जाति वर्ग संप्रदाय विशेष का आंदोलन नही है अणुव्रत का सूत्रपात आचार्य तुलसी ने मानवमात्र के कल्याण के लिए किया अणुव्रत के नियमो को समाज का हर व्यक्ति समाज विसंगतियो से मुक्त कर एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है। शासन श्री मुनि सुमेरमल सुदर्शन ने वर्तमान समय में अणुव्रत की भूमिका की महती आवश्यकता बताते हुए कहा कि व्यक्ति चाहिए कि वह अणुव्रत के नियमो का पालन करते हुए संयमित जीवन जियें।
कार्यक्रम में रतनगढ के विधायक राजकुमार रिणवां, अन्य पिछड़ा आयोग के सचिव सी बी शर्मा, कमलसिह छाजेड़ ने भी विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व में आयोजन समिति के रूपचंद दुधोडिय़ा, रणजीत दुगड़, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष बाबूलाल दुधोडिय़ा, प्रदीप सुराणा, जीवणमल मालू, सुरजमल नाहटा, लक्ष्मीपत सुराणा, किशनलाल सुराणा, हुक्माराम बरवड़, नरेन्द्र दुधोडिय़ा, विमल दुधोडिय़ा, आलोक नाहटा, चमन दुधोडिय़ा, राहुल दुधोडिय़ा, विजेन्द्र दुधोडिय़ा ने आगन्तुक अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। कार्यक्रम में अतिथियों ने अखिल भारतीय स्तर पर निबंध प्रतियोगिता में अव्वल रहने वाली हर्षा दुधोडिय़ा व बीदासर की जयश्री बांठिया का प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया । इस अवसर पर पूर्व विधायक रामेश्वर भाटी, सुभाष बेदी, शम्सुदीन स्नेही, वैद्य भंवरलाल शर्मा सहित सैकड़ो महिला व पुरूष उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप सुराणा ने किया।