जयपुर/हनुमानगढ़/सुजानगढ़. हनुमानगढ़ जिले के परलीका गांव से प्रकाशित राजस्थानी भाषा की तिमाही पत्रिका ‘कथेसर’ के दूसरे अंक का ई-संस्करण रविवार को दक्षिण कोरिया में लोकार्पित हुआ। पत्रिका के प्रबंध संपादक विनोद स्वामी ने बताया कि दक्षिण कोरिया की गवांझू सिटी स्थित यॉन्गसु-री सभागार में प्रवासी राजस्थानियों के संगठन राजस्थानी गौरव मंच की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मंच अध्यक्ष सुजानगढ़ वासी पीथाराम ज्याणी ने लेपटॉप पर पत्रिका को लोकार्पित किया।
इस अवसर पर मंच सदस्यों ने पत्रिका के संपादक रामस्वरूप किसान तथा डॉ. सत्यनारायण सोनी से ऑनलाइन संवाद किया तथा लोकार्पण की बधाई दी। सभा का संचालन करते हुए मंच के उपाध्यक्ष धाँ ग्राम के मूल निवासी रामचंद्र भंवरिया ने जानकारी दी कि यह राजस्थानी की पहली ऐसी पत्रिका है जिसका हर अंक प्रिंट संस्करण के साथ-साथ ऑनलाइन भी उपलब्ध है। इससे अपनी मातृभाषा के मीठास का वे विदेश में भी आस्वाद कर सकेंगे। कार्यक्रम में कोरियन साहित्यकार वू ज्यून जूंग व जॉन इवन रान बतौर अतिथि मौजूद थे। जूंग ने राजस्थानियों के मातृभाषा प्रेम की सराहना करते हुए कहा कि मातृभाषा ही इंसान को अपनी भूमि और अपनी संस्कृति से जोड़े रखती है।
रान ने राजस्थानी की गौरवशाली साहित्यिक परम्परा की सराहना की। मंच अध्यक्ष पीथाराम ज्याणी ने राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति की महता का बखान करते हुए कहा कि मातृभूमि, मातृभाषा और मां का दर्जा स्वर्ग से भी बढ़कर होता है इसलिए हरेक इंसान को इनके सम्मान हेतु तत्पर रहना चाहिए। कोषाध्यक्ष आसकरण प्रजापत ने राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए भारत की केन्द्र सरकार पर दबाव बनाने की अपील की।
प्रवक्ता सुनील कुमार रांकावत ने रतनगढ़ वासी राजस्थानी के मधुर गीतकार स्व. गजानन वर्मा के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके निधन को राजस्थानी भाषा और साहित्य की अपूरणीय क्षति बताया। अंत में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित की गई। सचिव रामोतार स्वामी ने आगंतुकों का आभार जताया। हर अंक होगा लोकार्पित विनोद स्वामी के अनुसार इस पत्रिका के हर अंक का प्रिंट संस्करण देश में तथा ई-संस्करण विदेश में समारोह पूर्वक लोकार्पित होगा। गौरतलब है कि कथेसर के प्रिंट संस्करण का लोकार्पण शुक्रवार को बीकानेर में समारोह पूर्वक हुआ था। पहले अंक का ई-संस्करण न्यूयॉर्क में राजस्थान ऐसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (राना) की ओर से 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस पर आयोजित समारोह में तथा प्रिंट संस्करण परलीका ग्राम में ही लोकार्पित हुआ
था।