भगवद् भक्ति से बढ़कर कुछ नहीं – मुरलीधर

Hanuman-temple

दुलियां बास स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मन्दिर के 35 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष में आयोजित श्रीराम कथा के आठवें दिन सोमवार को उपस्थित श्रृद्धालुओं को कथा का अमृतपान करवाते हुए व्यासपीठ पर विराजमान कथावाचक मुरलीधर महाराज ने केवट प्रसंग, भारद्वाज आश्रम में श्रीराम, सीता व लक्ष्मण का आगमन पर महर्षि भारद्वाज मुनि ने भगवान का फलों से सत्कार कर अपने जीवन को सफल माना आदि अनेक प्रसंग सुनाये। कथा वाचक ने कहा कि भगवान की भक्ति से बढ़कर कुछ नहीं है। भारत में आन्तरिक शुद्धता है, जबकि विश्व के अन्य देशों में बाह्य शुद्धता है। महाराज ने कहा कि भगवान राम का चरित्र प्रत्येक परिस्थिति में मर्यादा में रहकर कार्य करने की शिक्षा देता है।

महाराज ने कहा कि राम जैसा पुत्र, पति, भाई तथा स्वामी सबको चाहिये, लेकिन स्वयं दशरथ, कौशल्या, सीता, लक्ष्मण तथा भरत व हनुमान बनना नहीं चाहते। अपना सर्वस्व राम के चरणों में समर्पित करने पर ही राम की प्राप्ति होगी। इससे पूर्व कथा आरम्भ होने से पहले यजमान महेश कुमार बागड़ा, विजय कुमार कोठ्यारी, सीताराम सामरिया, शंकरलाल सामरिया, प्रकाशचन्द सामरिया, कमल कुमार सामरिया, घीसूलाल बागड़ा, करणीसिंह शेखावत, विद्याद्यर पारीक, सीताराम बोचीवाल ने अपने परिवार के साथ श्रीराम कथा की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर समिति अध्यक्ष घनश्याम तुनवाल, मंत्री शंकरलाल सामरिया, कोषाध्यक्ष हरिप्रसाद चोटिया, भगवती प्रसाद सुरोलिया ने माला पहनाकर स्वागत किया। कथा में आये हुए संत पूसादास जी महाराज सहित संत समाज का प्रधान पुजारी सुरेश कुमार हरितवाल ने शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया।

अखण्ड हरिनाम संकीर्तन का समापन
नवरात्रा की स्थापना के साथ शुरू हुए अखण्ड हरिनाम संकीर्तन का सोमवार को समापन हो गया। संकट मोचन हनुमान मन्दिर में मन्दिर की स्थापना वर्ष से प्रति वर्ष होने वाले अखण्ड हरिनाम संकीर्तन में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु कीर्तन करते हैं तथा प्रभु स्मरण कर पुण्य लाभ कमाते हैं। अखण्ड कीर्तन के दौराना रोजाना सप्तरंगी आरती भी की जाती है। आरती के लिए महिलायें अपने-अपने घरों से थालियां सजा कर लाती है। सप्तरंगी आरती को देखने तथा अखण्ड हरिकीर्तन का श्रवण करने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।

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