अन्दरूनी झगड़े से निजात पाये बगैर जीतना भाजपा के लिए दूर की कोड़ी

प्रदेश के दो सौ विधानसभा क्षेत्रों में सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र का एक अलग ही स्थान है। यह विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। जिससे एक ओर कांग्रेस के मा. भंवरलाल मेघवाल लगातार प्रत्याशी रहे हैं, वहीं भाजपा ने हर तीसरे चुनाव में प्रत्याशी को बदला है। इस विधानसभा क्षेत्र की खास बात यह है कि यहां से कोई भी उम्मीद्वार लगातार दो बार नहीं जीत पाया है। मेघवाल बाहुल्य होने के कारण आरक्षित होने के बाद से इस सीट से अधिकतर विधायक मेघवाल ही विधायक बने हैं, चाहे मा. भंवरलाल मेघवाल हो या चुन्नीलाल मेघवाल या फिर खेमाराम मेघवाल। यह नहीं है कि अन्य को यहां से प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। यहां से भाजपा की टिकट पर एक बार ढ़ोली जाति सम्बन्ध रखने वाले रामेश्वर भाटी ने विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया है। हरिजन जाति से मोतीलाल आर्य ने भी कांग्रेस के टिकट पर एक बार अपना भाग्य आजमाया था। लेकिन तब कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज मा. भंवरलाल मेघवाल ने बगावत करते हुए निर्दलीय का चुनाव लड़कर विजयश्री का वरण किया था। निर्दलीय चुनाव लडऩे के कारण भंवरलाल मेघवाल को कांग्रेस से निष्काषित भी किया गया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्हे वापस पार्टी में शामिल कर लिया गया था। इसके बाद से विधानसभा चुनावों मा. भंवरलाल कांग्रेस के एक मात्र उम्मीद्वार रहे हैं, जबकि भाजपा में प्रत्याशी बदलते रहे हैं। मा. भंवरलाल के नेतृत्व में कांग्रेस जहां एकजुट है, वहीं भाजपा कार्यकर्ता खेमाराम व रामेश्वर भाटी तथा युवा कार्यकर्ता गणेश मण्डावरिया के बीच बंटे हुए हैं।

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मा. भंवरलाल जहां बड़बोलेपन के कारण हमेशा चर्चा में रहते आये हैं, वहीं भाजपा के सभी टिकट के दावेदार अपनी मिलनसारिता के लिए जाने जाते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में अपने बड़बोलेपन के कारण शिक्षामंत्री का पद गंवाने वाले भंवरलाल ने मंत्री पद से हटने के बाद विगत दो वर्षों में क्षेत्र की जनता एवं कार्यकर्ता के मध्य सक्रिय रहते हुए अपनी छवि में काफी सुधार करते हुए नये लोगों को अपने से जोडऩे में सफलता पाई है। अब तक हुए विधानसभा चुनावों में तथा इस बार के समीकरणों को देखते हुए भाजपा अगर नये चेहरे को टिकट नहीं देती है तो उसे हार का सामना करना पड़ सकता है। एक ओर पिछले आठ चुनावों से लगातार चुनाव लड़ रहे तथा चार बार विधायक रहे मा. भंवरलाल मेघवाल की प्रतिष्ठा इस बार के चुनाव में दांव पर लगी हुई है, वहीं भाजपा इस सीट पर फिर से काबिज होने की जुगत लगा रही है। लेकिन जब तक भाजपा अपने अन्दरूनी झगड़े से निजात नहीं पा लेती तब तक उसके लिए इस सीट पर काबिज होना एक दिवा स्वपन्न होने के सिवाय कुछ नहीं है। अगर इस बार भाजपा प्रत्याशी को हराकर मा. भंवरलाल विधानसभा में पंहूचते हैं तो वे एक नया इतिहास लिखेंगे।

आरक्षित सीट से दु:खी

विगत चालिस वर्षों से आरक्षित इस सीट से सामान्य जन दु:खी है। आमजन का मानना है कि एक विधानसभा सीट को लगातार आरक्षित रखने के कारण आरक्षित वर्ग के अलावा अन्य समुदाय के लोगों को उसका फायदा नहीं मिल पा रहा है और उन्हे मजबूरन योग्य होते हुए भी अपने सपनों का गला घोंटकर कार्य करना पड़ रहा है।

त्रिकोणीय संघर्ष में ही जीती है कांग्रेस

अब तक के विधानसभा चुनावों के परिणामों को देखें तो पता चलता है कि कांग्रेस इस सीट से केवल त्रिकोणीय संघर्ष में ही जीत पाई है। जबकि आमने-सामने की सीधी टक्कर में हमेशा भाजपा ने बाजी मारी है। इस विधानसभा क्षेत्र से जब भी कोई मजबूत निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा हुआ है, भाजपा ने पराजय का तथा कांग्रेस ने विजयश्री का वरण किया है। पिछली बार की तरह इस बार भी भाजपा से बागी उम्मीद्वार खड़ा होने की सम्भावना है। अगर भाजपा से बागी होकर कोई चुनाव लड़ता है तो कांग्रेस के लिए जीत की राह बहुत आसान होगी।

असन्तुष्ट कार्यकर्ता

एक ओर कांग्रेस में कार्यकर्ता पुछ नहीं होने पर नाराज या असन्तुष्ट होकर शांत रहने लगता है, वहीं भाजपा में वह खुलकर विरोध करते हुए खम्म ठोकने लगता है। जिसका आमजन के मानस पर गहरा असर पड़ता है और चुनाव में भाजपा समर्थित कार्यकर्ता तथा मतदाता बंट जाता है, वहीं कांग्रेस समर्थित कार्यकर्ता व मतदाता एकजुट रहते है। जिसके परिणामस्वरूप कांग्र्रेस जीत दर्ज कर पाती है।

नगरपालिका व पंचायतों में स्थिति

सुजानगढ़ नगरपरिषद एवं बीदासर नगरपालिका पर जहां भाजपा का काबिज हैं, वहीं पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायतों में कांग्रेस भारी है। सुजानगढ़ नगरपरिषद के कुल 40 वार्डों में से भाजपा के 22 तथा कांग्रेस के 13 एवं 5 निर्दलीय सदस्यों ने जीत का परचम फहराया है, वहीं बीदासर नगरपालिका क्षेत्र के 25 वार्डों में से भाजपा व कांग्रेस 12-12 पर काबिज हुई वहीं एक मात्र निर्दलीय ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। सुजानगढ़ नगरपरिषद से भाजपा के डा. विजयराज शर्मा सभापति है तो बीदासर नगरपालिका में भाजपा के हुक्मीचन्द रैगर अध्यक्ष का दायित्व सम्भाल रहे हैं। सुजानगढ़ पंचायत समिति की 29 सीटों में कांग्रेस के 27 सदस्य हैं, वहीं भाजपा को मात्र दो सदस्यों से सन्तोष करना पड़ा था। वहीं 51 ग्राम पंचायतों में कांग्रेस के 45 सरपंच हैं, वहीं भाजपा के मात्र 6 सरपंच ही निर्वाचित हो पाये हैं। जिला परिषद की सभी 6 सीटों पर भाजपा को करारी शिकस्त देते हुए कांग्रेस ने सभी 6 सीटें अपनी झोली में डाल ली थी।

नहीं हो पाये ये कार्य

अशोक गहलोत सरकार में शिक्षा एवं श्रम व रोजगार मंत्री रहे मा. भंवरलाल मेघवाल ने अपने कार्यकाल में क्षेत्र की जनता को जहां आपणी योजना के करीब साढ़े नौ सौ करोड़ रूपये की लागत के द्वितीय फेज का काम शुरू करवाकर एक बड़ी सौगात दी है, वहीं वे शिक्षा मंत्री रहते स्कूलों की हालत को नहीं सुधार पाये। मेघवाल अपने कार्यकाल में रोड़वेज बस डिपो का विस्तार नहीं कर पाये और इसके विपरीत नई बसों के शुरू होने के स्थान पर यहां से बड़े शहरों व कस्बों के लिए जाने वाली रोड़वेज की बसे निरन्तर बंद होती रही है। लम्बे समय से उठ रही सुजला जिला बनाने की मांग तथा महिला महाविद्यालय की मांग को पूरी नहीं कर सके। क्षेत्र में ड्रेनेज, सीवरेज, रेल सेवा विस्तार, औद्योगिक विकास का अभाव बरकरार है।

क्रम सं. सन विधानसभा निर्वाचित प्रतिनिधि दल
1. 1952 पहली विधानसभा राजा प्रतापसिंह (बीदासर) स्वतंत्र पार्टी
2. 1957 दूसरी विधानसभा सुश्री शन्नोदेवी शर्मा निर्दलीय
3. 1962 तीसरी विधानसभा फूलचन्द जैन कांग्रेस
4. 1967 चौथी विधानसभा लाभचन्द बैद (रतनगढ़) जनसंघ
5. 1972 पांचवी विधानसभा फूलचन्द जैन कांग्रेस
6. 1977 छठी विधानसभा रावतराम आर्य (चूरू) जनता पार्टी
7. 1980 सातवीं विधानसभा मा. भंवरलाल मेघवाल निर्दलीय
8. 1985 आठवीं विधानसभा चुन्नीलाल मेघवाल (सालासर) भाजपा
9. 1990 नौंवी विधानसभा मा. भंवरलाल मेघवाल कांग्रेस
10. 1993 दसवीं विधानसभा रामेश्वरलाल भाटी भाजपा
11. 1998 ग्यारहवीं विधानसभा मा. भंवरलाल मेघवाल कांग्रेस
12. 2003 बारहवीं विधानसभा खेमाराम मेघवाल भाजपा
13. 2008 तेरहवीं विधानसभा मा. भंवरलाल मेघवाल कांग्रेस

सीट की श्रेणी आरक्षित
पिछले चुनाव में जीत का अन्तर 14061
अब कुल मतदाता 2,14,738
महिला 1,02,276
पुरूष 1,12,462
बढ़े युवा वोटर 10,345

राजकुमार चोटिया

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