बच्चे के संरक्षण के लिए आगे आई स्वयंसेवी संस्थायें

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कहते हैं मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है, यह कहावत शनिवार को गोपालपुरा रोड़ स्थित मालियों के खेत में गड्डा खोदकर दफनाये गये नवजात जीवित शिशु पर चरितार्थ हुई। हुआ युं कि कस्बे के नजदीक ही गोपालपुरा रोड़ पर स्थित झलाई-तलाई के पास ढ़ाणी में रहने वाला चन्द्रसिंह पुत्र भूरसिंह रावणा राजपूत रोज की तरह मजदूरी के लिए सुजानगढ़ आ रहा था। तभी उसने देखा कि मालियों के खेत में से एक महिला व पुरूष भागते हुए सड़क पर आये और किनारे खड़ी मोटरसाइकिल पर बैठकर गोपालपुरा की तरफ भाग गये। उन्हे भागते देखकर शक होने पर खेत में जाकर देखा तो एक ताज गड्डा खोदकर वापस मिट्टी से भरा हुआ था।

जिस पर गड्डे से मिट्टी हटाना शुरू किया तो नवजात शिशु के हिलते हुए पैर नजर आये। तब चन्द्रसिंह ने चतरसिंह को फोन पर नवजात शिशु मिलने की जानकारी दी। इस पर चतरसिंह ने उसे पुलिस को सूचना देने और बच्चे को गड्डे से बाहर निकालने की सलाह दी। जिस पर अमल करते हुए चन्द्रसिंह ने तुरन्त ही नवजात को गड्डे से बाहर निकाला और किसी से नम्बर लेकर थाने फोन कर नवजात जीवित शिशु के मिलने की जानकारी। जिस पर उसे बच्चे को लेकर सरकारी चिकित्सालय पंहूचने के लिए कहा गया। तब वह चतरसिंह, भंवरलाल व झलाई तलाई स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक सन्तोष जोशी बच्चे को लेकर अस्पताल पंहूचे। पीएमओ एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सी.आर. सेठिया ने बताया कि नवजात शिशु लड़का है, जिसका वजन करीब तीन किलो है।

डा. सेठिया ने बताया कि बच्चे को जब अस्पताल लाया गया तब वह ठण्डा था तथा उसके मुंह सहित पूरे शरीर पर रेत थी और वह सदमें में था, उसकी हालत एकदम खराब थी। अस्पताल में लाने के बाद उसे साफ किया गया और उसे ऑक्सीजन चढ़ाई गई और उसे ग्लुकोज चढ़ाया गया तथा जीवन रक्षक इंजेक्शन व दवाईयां दी गई। डा. सेठिया ने बताया कि बच्चे की हालत अब काफी ठीक है। शिशु रोग विशेषज्ञ के अनुसार बच्चे का जन्म शनिवार सुबह जल्दी हुआ है। अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ के अनुसार बच्चे की नाल को बंद करने के लिए काम में ली गई क्लीप प्रशिक्षित व्यक्ति के द्वारा ही काम में ली जाती है, जो बच्चे के जन्म को किसी प्रशिक्षित नर्स, कम्पाऊ ण्डर या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा करवाये जाने की ओर इंगित करती है।

इस बारे में एड. बुद्धिप्रकाश प्रजापत के अनुसार भारतीय दण्ड संहिता की धारा 3१7 के तहत 12 वर्ष से कम आयु के शिशु के माता-पिता द्वारा उसका पूर्णतया परित्याग करने के उद्देश्य से किसी स्थान पर अरक्षित डाल देने या छोड़ देने पर 7 साल के कारावास का प्रावधान है। एड. विनोद कुमार सोनी ने बताया कि जिस बच्चे का कोई संरक्षक नहीं होता है, उसकी संरक्षक सरकार होती है। सोनी ने बताया कि पति-पत्नि दोनो की सहमति हो तथा उनके सन्तान लड़का नहीं हो तथा एक से अधिक आवेदन आने पर जिस परिवार में बच्चे का कल्याण अधिक नजर आता है, उस परिवार या दम्पति को बच्चे को गोद दिया जाता है। सोनी ने बताया कि इस नवजात के लिए बीकानेर स्थित किशोर न्यायालय बोर्ड में आवेदन किया जायेगा। किसी माता के इस अनचाहे शिशु को अपने आंचल की छांव देने के लिए एक दर्जन के करीबयशोदायें प्रयासरत है तथा इनकी संख्या में और इजाफा होने की सम्भावना है।

नवजात शिशु मिलने के समाचार के साथ बच्चे को आश्रय देने के लिए कस्बे की संस्थायें आगे आई। प्रेरणा संस्थान मंत्री यशोदा माटोलिया ने बच्चे के लिए गर्म कपड़े दिये, वहीं महावीर इन्टरनेशनल द्वारा शिशु किट दिया गया तो मरूदेश संस्थान द्वारा शिशु संरक्षण के लिए किट भेंट किया गया और उसकी कुशलक्षेम की जानकारी ली गई।

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