कस्बे के कनोई बिल्डिंग के सामने झांबररमल राजोतिया कि सौजन्य से चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दुसरे दिन कथा वाचक देवकिनन्दन दाधीच ने राजा परिक्षित के जन्म, परीक्षित को श्रंगी व ऋषि का श्राप का वर्णन करते हुए भगवान का बारह अवतार तथा कपिल अवतार की कथा सुनाई। उन्होने भगवान देवऋषि का सांख्य शास्त्र, जीव की तामसिक गति के बारे में तथा नवधा भक्ति का उपदेश दिया।
जीव तामसिक गति में यमलोक की यातनाओ पर प्रकाश डाला। नवधा भक्ति में नौ प्रकार की भक्ति पर प्रकाश डाला। उन्होने प्रभू की कथा सुनना, कीर्तन, स्मरण, चरणो की वंदना, अर्चना, वंदन, दास भाव, संख्य भाव, आत्मा समर्पण आदि पर विस्तार से वर्णन किया। इससे पूर्व में व्यास पीठ पर विराजित पंडित देवकिनन्दन दाधीच का श्रद्धालु ने माल्यार्पण कर स्वागत किया।
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