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क्या किसी के निजी कार्य के लिए चिकित्सालय की शांति को भंग करने और भरी वाहनों के लिए आम रास्ते के रूप में काम में लेने की अनुमति दी जा सकती हैं ? यह सवाल रविवार को दिन भर कस्बे के लोगो के मन में बार बार उमड़ रहा था । कारन साफ हैं की सुजानमल बगड़िया राजकीय चिकित्सालय के नजदीक पूर्व विधायक सुश्री शन्नो देवी के आवास के स्थान पर निर्माणाधीन व्यवसायिक काम्प्लेक्स के निर्माण में काम आने वाले सामान को गंतव्य तक पहुँचाने वाले वाहनों के लिए रास्ते की आवश्यकता थी, जीसके कारण उन्होंने चिकित्सालय को ही आम रास्ते में तब्दील कर दिया ।

जबकि निर्माणाधीन काम्पलेक्स के पास से गुजरने वाले आम रास्ते को काम्प्लेक्स के मालिको ने निर्माण सामग्री डालकर निर्माण शूरू होने के समय से ही बंद कर रखा हैं । जिससे आम आदमी को भरी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं । आम रास्ते पर निर्माण सामग्री के पड़े होने के कारण टेम्पो, मोटरसाईकिल, सवारों अन्य वाहन चालकों को मजबूरन अस्पताल को आम रास्ते के रूप में काम लेना शुरू कर दिया । लेकिन रविवार को हद ही हो गई, जब काम्प्लेक्स के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री को लेन के लिए काम्प्लेक्स के कर्ताधर्ताओं ने नियम कायदों को ताक में रखते हुए चिकित्सालय के दक्षिण दिशा के दरवाजे के बीचोबीच में भारी वाहनों के प्रवेश निषेध स्वरूप गाड़े गये पाईप  को उखाड़ कर कंक्रीट से भरे अपने टैक्टर-ट्रालीओ को गंतव्य तक पहुँचाने के लिए आसन रास्ते के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया । जब इस बारे में चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. शेर सिंह राठोड़ के संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया की उन्होंने टैक्टरो के आवगमन की अनमति दी हैं । परन्तु क्या मरोजों की शांति से ज्यादा जरुरी किसी के निजी कार्य को अहमियत देना जरुरी हैं ? अस्पताल से टैक्टरो के आवागमन के कारण कई बार रास्ता अवरुद हुआ ।

इस दोरान अगर कही कोई गंम्भीर हादसा हो जाता हैं या कोई प्रसव पीडिता को लेकर परिजनों को चिकित्सालय तक पहुँचाना ह तो वो केसे पहुंचे ? चिकित्सालय में प्रवेश के रास्ते के जाम होने के कारण अगर हादसे में घायल या प्रसव पीड़िता अथवा किसी अन्य बीमारी के मरीज की समय पर ईलाज नहीं मिलने के कारण मृत्यु हो जाती हैं तो इसके लिए प्रशासन किसे जिम्मेदार ठहराएगी ? यह एक विचारणीय प्रश्न जिसका जवाब अगर ऐसा कुछ घटित होने पर ना तो अस्पताल प्रशासन से ना ही निर्माणाधीन काम्प्लेक्स के कर्ताधर्ताओं से दिया जायेगा । इस प्रकार के हादसे के बाद उपजने वाली परिस्थितिओं और जनाक्रोश को प्रशासन किस प्रकार शांत कर पायेगा, यह  तो वो ही जाने । लेकिन किसी बीमार को समय पर उपचार उपलब्ध करवाना प्रशासन का काम हैं और राजनेताओं के दबाब के बीच अपने इस कर्तव्य को प्रशासन केसे निभा पायेगा, यह देखना योग्य हैं ।

कल की बात ले लीजिये चिकित्सालयों में खड़े वाहनों के बीच फंसने के कारण बंद रास्ता और सड़क हादसे  के दोरान हुई मौत के बाद पोस्टमार्टम के बाद शव को ले जाने के लिए रास्ते के खुलने का इंतजार करते परिजन तथा वह खडडा  जिसमे गाड़े गये पाईप को उखाड़कर एक और फेंक दिया ।

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